कोक्कोक
कोक्कोक
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 154 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | पृथ्वीनाथ पुष्प |
कोक्कोक कोकशास्त्र के नाम से प्रख्यात कामशास्त्र के ग्रंथ का रचियता जिसे सामान्य कोका पंडित के नाम से जानते है। यह सिंहल निवासी नेजोक का पौत्र और गणविद्याधर का पुत्र था। उसके ग्रंथ का वास्तविक नाम रतिरहस्य है। कामकेलिरहस्य का यह व्याकरण उसने कामुको के मनोरंजनार्थ लिखा था और ऐसा करने की प्रेरणा उसे राजा वैयादत्त से हुई थी। शारदा लिपि में प्राप्त रतिरहस्य की प्रतियों के कारण ही लोग इसका संबंध कश्मीरनरेश विनयादित्य (700ई.) से जोड़ते हैं जो भ्रममूलक है। फारसी, उर्दू और पंजाबी अनुवादों में कोक्कोक को भिन्न शासकों का अमात्य बताया गया है। लोकानुश्रुति की दृष्टि से रोचक होते हुए भी वे ऐतिहासिक दृष्टि से विश्वसनीय नहीं हैं। उसका समय लगभग 1100ई. है।
कोक्कोक अनुभवनिष्ठ व्यक्ति थे और पंडित कवियों की सभा में उनका बड़ा मान था। उनकी सुललित शैली उसके पांडित्य की सहृदयता सूचित करती है। वात्स्यायान के अतिरिक्त नंदिकेश्वर और गोणिकापुत्र से सामग्री लेना उसकी गवेषणात्मक सजगता का प्रमाण है। रतिरहस्य में वणित नर्मगोष्ठी, संगीतगोष्ठी, उद्यानयात्रा, यानयात्रा, जलावतार, प्रसाधनोपाय आदि प्रसंगों में तत्कालीन भारत के कलाविलास की झलक मिलती है। इस ग्रंथ की चार ज्ञात टीकाओं में से अभी तक केवल एक ही प्रकाशित हुई है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ