कोरिन
कोरिन
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 168 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | पद्मा उपाध्याय |
कोरिन (1658-1716 ई.) जापान के एक प्रमुख चित्रकार। इनका प्रकृत नाम ओगाता कोरेतोमी था किंतु लोकप्रिय नाम कारिगानेया तोजुरो और पेशे का नाम होशूकू कोरिन है। वे लिपिकार, जड़िया, चायदानियों, दावातों आदि के सुंदर डिजाइनकार थे। उनका जन्म क्योतो के एक समृद्ध सौदागर कुल में हुआ था। वे प्रकृति के कुशल पारखी थे। उनकी यह परख उनकी प्रारंभिक अभ्यास-चित्र-पुस्तिकाओं में ही दिखाई देने लगी थी। पर स्केचों से भिन्न उनके प्रख्यात चित्रों की शालीनता उनकी सादगी में है; जिनमें अलंकरण भी पर्याप्त है, विशिष्ट गुण भी हैं और रंगों का मधुर उपयोग हुआ है। जिनमें अलंकरण भी पर्याप्त है, विशिष्ट गुण भी हैं और रंगों का मधुर उपयोग हुआ है। रंगमंचीय चित्रपटों पर उन्होंने अपनी यह विशेषता भरपूर प्रकट की है। इनमें प्रधान ईरिस के फूल, सारस, लहर, कलँगी-कली मृग आदि। उनकी चित्रविधि के अनेकांग चीनी आचार्यों की शैली से अभिव्यक्ति काव्योचित छंदस से संपन्न हुए। कोरिन कवि भी थे और अपने काव्य में जिस सूक्ष्मता के साथ वह अपने विस्तृत भावों को व्यक्त करते थे उसी तकनीक द्वारा उन्होंने अपने चित्रों को भी साधा। कोरिन अपने पक्षियों और फूलों के चित्रण के लिये प्रख्यात हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ