कोलोेन

अद्‌भुत भारत की खोज
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लेख सूचना
कोलोेन
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 178
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक कैलाशनाथ सिंह

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कोलोन राइन नदी पर बसा जर्मनी का प्रसिद्ध नगर।[१]ई. पूर्वी 38 में यह रोमन सैनिक अड्डा था। 50 ई. के बाद रोम के राजा क्लाडियस ने अपनी पत्नी कोलोनिया अग्रीपिनेन्सिन के नाम पर इसका नामकरण किया। 870 ई. में यह जर्मनी के अधिकार में आ गया।

मध्यकालीन युग में यह नगर पूर्व की वस्तुओं, रेशम और मसाले का वितरणकेंद्र रहा। महत्वपूर्ण स्थिति के कारण इसपर विभिन्न शक्तिशाली राष्ट्रों की निगाह बराबर लगी रहती रही। 1794 ई. में फ्रांसीसियों ने, 1815 ई. में प्रशावालों ने तथा 1918 से 1926 ई. तक अंग्रेजों ने इसे अपने अधिकार में रखा।

द्वितीय विश्वयुद्ध के समय बमबर्षा के कारण इस नगर का दो तिहाई भाग पूर्णत: नष्ट हो गया था। इसकी वर्तमान उन्नति रूर औद्योगिक क्षेत्र के सामीप्य से हुई है। यह नगर अनेक रेलमार्गो का केंद्र और महत्व का नदीपत्तन है। यहाँ से अन्न, मद्य, तेल आदि का बेल्जियम, हालैंड और स्विटज़रलैंड को निर्यात होता है। यहाँ तंबाकू, सिगार, चाकलेट, साबुन, बिजली के सामान, रासायनक, जहाज, मोटर, सूती कपड़े, रबर, शीशे, आदि के सामान बनाने के कारखाने हैं। यहाँ का गोथिक कैथेड्रल वास्तु कला का उत्कृष्ट नमूना है।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. स्थिति: 500 54’ उत्तरीय अक्षांश से 60 57’ पूर्वी देशांत