कौत्स

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लेख सूचना
कौत्स
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 194
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक विजयराम सिंह

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कौत्स (1) भार्गव गोत्रकार ऋ षि। मत्स्यपुराण में भार्गव गोत्र के अनेक ऋ षियों के साथ इनका उल्लेख है।

(2) एक त्रिप्रवर ऋ षि जिनका गोत्रप्रवर्तक अन्य ऋ षियों के साथ मत्स्यपुराण में उल्लेख है।

(3)वरतंतु के शिष्य कौत्स ऋ षि जिनके रघु से गुरु दक्षिणा की याचना का वर्णन कालिदास ने रघुवंश में किया है।[१]

कौनास (Kaunas) नेरिस तथा नमैन नेदियों के संगम पर (540 54’ उत्तरीय अक्षांश तथा 230 54’ पूर्वी देशांत) स्थित लिथुएनिया का प्रमुख नगर और व्यापारिक केंद्र। यह जर्मनी और रूस के बीच बराबर युद्ध का कारण रहा। इस प्रकार इसकी उन्नति और अवनति दोनों होती रही। एक बार नेपोलियन भी मास्को जाते समय इस नगर से होकर गया था। 1918 ई. में जब लिथुएनिया स्वतंत्र हुआ तब यह पुन: बसाया गया और इसी समय यहाँ के बिजलीघर तथा राष्ट्रीय युद्धसंग्रहालय की नींव पड़ी।

अब यह लिथुएनिया का प्रमुख शिक्षाकेंद्र है, यहाँ वाहनस विश्वविद्यालय है जिसमें कृषि और संगीत की उच्च शिक्षा दी जाती है। यह नगर उद्योग की दृष्टि से मुख्य रूप से धातुनिर्म्त्ताि वस्तुओं के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। इसका प्राचीन नाम कौनो है। यहाँ की जनसंख्या 2,76,000 (1967) है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रा. शं. मि.