क्योतो
क्योतो
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 196 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | भूपेद्रकांत राय |
क्योतो जापान के यमाशिरों प्रांत में स्थित नगर।[१] जनसंख्या 12, 04,084 (1955)। क्वामू शासन काल में इसे हे यान जो अर्थात् शांति का नगर की संज्ञा दी गई थी1 11वीं शताब्दी तक क्योतो जापान की राजधानी था और आज भी पश्चिमी प्रदेश की राजधानी है। 1890 ई. में इस नगर को बीवा झील सें लगभग 7 मील लंबी नहर द्वारा संबंधित कर दिया गया।
विशाल मंदिरों, भव्य प्रासादों और कलात्मक भवनों के लिए क्योतो संपूर्ण जापान में प्रसिद्ध है। यहाँ रेशम के कपड़े, चीनी मिट्टी के बर्तन, कसीदाकारी, रंगनिर्माण, पंखा, खिलौना और अन्य प्रकार के धातु के बर्तनों का उद्योग अधिक विकसित है। यह जापान में बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा केंद्र है। यहाँ एक विश्वविद्यालय तथा एक कलाकेंद्र हें।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ स्थिति : 350 1’ उत्तरीय अक्षांश तथा 1350 46’ पूर्वी देशांत