क्राकाताउ
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क्राकाताउ
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 200 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | भूपेद्रकांत राय |
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क्राकाताउ (Krakatau) द्वीप सुंडा जलडमरु मध्य के निकट स्थित छोटा ज्वालामुखी द्वीप।[१] ज्वालामुखी के उद्गारों के कारण इस द्वीप की नींव ने टूटकर द्वीपपुंज का रूप धारण कर लिया है। उद्गारों के फलस्वरूप कई शंकु बन गए हैं, जिनमें प्रमुख शंकु की ऊँ चाई 2,623 फुट है। बार-बार के उद्गारों के कारण समुद्रतटीय निवासियों की महान क्षति हुई है। 1927 ई. में जो ज्वालामुखी का उद्गार हुआ जिसके फलस्वरूप इस द्वीप के निकट समुद्रतल से 265 फुट ऊँचा एक अन्य द्वीप निकल आया जिसे अनाक क्राकाताउ कहते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ स्थित : 50 50’ उत्तरीय अक्षांश तथा 1050 27’ पूर्वी देशांत