खाकी एलेक्शन
खाकी एलेक्शन
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 310 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
खाकी एलेक्शन ग्रेट ब्रिटेन के दो संसद् निर्वाचनों के लिए प्रयुक्त शब्द जिनका संबंध युद्ध से था। पहला खाकी एलेक्शन 1900 ई. में हुआ था उस समय संयुक्तवादी बड़ी संख्या में चुने गए। उन्होंने अपनी इस विजय का यह अर्थ लगाया कि जनता ने उन दिनों चल रहे दक्षिणी अफ्रीका के युद्ध का सफल अंत करने का अधिकार उन्हें प्रदान किया है। दूसरा खाकी एलेक्शन प्रथम महायुद्ध की समाप्ति के तत्काल बाद 1918 को दिसम्बर में हुआ था। 1911 ई. के बाद यह पहला निर्वाचन था और इसमें भी संयुक्त दल विजयी रहा। मतदाताओं की धारणा थी कि इसी दल ने युद्ध को सफल बनाया था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ