खुलना
खुलना
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 330 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | कष्णमोहन गुप्त |
खुलना 1. बँगला देश के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में गंगा नदी के काँठे में स्थित जिला। इसका क्षेत्रफल 4,805 वर्गमील है। इसके पूर्व में मधुमती नदी तथा दक्षिण मे बंगाल की खाड़ी है। इसके दक्षिणी भाग में सुंदरवन है, जहाँ से इमारती लकड़ी मिलती है। इस जंगल में बंगाल के बाघ, चीते और जंगली भैंसे आदि जानवर निवास करते हैं। नदी की मिट्टी प्रत्येक वर्ष बिछती है, जिससे यह क्षेत्र अत्यंत उपजाऊ है। यहाँ मानसूनी हवाओं से काफी वर्षा होती है। नारियल, खजूर और सुपारी के वृक्ष पाए जाते हैं। धान, तेलहन, गन्ना और तंबाकू की खेती होती है। खुलना और बैगरहट में कपड़े का उद्योग है। मछली पालने का उद्योग प्रसिद्ध है। बैगरहट में प्राचीन गौड़ राज्य के खंडहर हैं। 16वीं शताब्दी तक यहाँ स्वतंत्र मुसलमानी राज्य था, जिसकी राजधानी ईश्वरीपुर थी। 1576 ई. में अकबर के हिंदू सेनापति ने इसको जीतकर मुगल साम्राज्य में मिला लिया। 1947 ई. में यह पूर्वी पाकिस्तान में चला गया था।
2. खुलना जिले का मुख्य नगर जो भैरव नदी पर कलकत्ता से 77 मील पूर्व उत्तर-पूर्व में स्थित है। ढाका से यह 80 मील दक्षिण-पश्चिम में हैं। सुंदरवन में पैदा होने वाले पदार्थों का यह व्यापारिक केंद्र है। कलकत्ते से यह टेढ़े मेढ़े रेलमार्ग तथा सड़क के द्वारा संबंधित है। यहाँ चावल, जूट, तेलहन, गन्ना, नारियल और सुपारी का व्यापार होता है। यहाँ तेल पेरने के कोल्हू, आटा चक्की, लकड़ी चीरने के कारखाने तथा नाव बनाने के प्रसिद्ध उद्योग हैं। राजशाही विश्वविद्यालय से संबंधित यहाँ चार कालेज हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ