गंगवंश (श्वेतक)
गंगवंश (श्वेतक)
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 340 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वर लाल गुप्त |
गंगवंश (श्वेतक) गंग नामक एक अन्य वंश। उड़ीसा में ही श्वेतक में चिकटी (ज़ि ला गंजाम) में राज करता था जो कदाचित पूर्वी गंगवंश की कोई उपशाखा थी। इस वंश का आदि नरेश महाराज जयवर्मन था जो कदाचित कलिंग नगर के शासन के अंतर्गत राणक (सामंत) था। यह छठी शती ई. के अंतिम दशक में रहा। इसके बाद इस वंश के संबंध में अगले सौ वर्ष तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। 680 ई. के आसपास इस वंश में महाराज सामंतवर्मन के होने की बात ज्ञात होती है। वह अपने को समस्त कलिंग का नरेश बताता है। तदनंतर आठवीं-नवीं शती में इस वंश में महाराज इंद्रवर्मन हुए। इन शासकों का पारस्परिक संबंध अज्ञात है। इस वंश के परवर्ती कुछ अन्य शासकों के भी नाम ज्ञात होते हैं। इस वंश का अंतिम शासक देवेंद्रवर्मन था। ग्यारहवीं शती के अंत में अनंतवर्मन चोलगंग ने इस वंश को समाप्त कर दिया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ