गजेंद्रमोक्ष
गजेंद्रमोक्ष
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 353 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
गजेंद्रमोक्ष भागवत-पुराण-वर्णित एक प्रसिद्ध आख्यान। अगस्त्य ऋषि ने संमान ने करने के अपराध में इंद्रद्युम्न नामक राजा को गज योनि में जन्म लेने का शाप दिया। वह गज एक दिन गंगा नदी में क्रीडा कर रहा था तभी एक मगर ने उसका पैर पकड़ लिया। हाथी ने मगर से छूटने की बहुत चेष्टा की। जब सफल न हो सका तो उसने विष्णु से गुहार की और विष्णु ने आकर उसे छुड़ाया। भक्तिमार्ग के बीच इस आख्यान का विशेष महत्व है। कहा जाता है, गजेंद्र मोक्ष का स्थान गंडकी और गंगा के संगम पर था। फलत: मुजफ्फरपुर जिलांतर्गत सोनपुर के निकट इस स्थान की पहचान की जाती है। प्रति वर्ष वहाँ कार्तिक पूर्णिमा को एक विशाल मेला लगता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ