गणपति मुनि

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लेख सूचना
गणपति मुनि
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 360
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक परमेश्वरीलाल गुप्त

गणपति मुनि (1878-1936 ई.)। तमिलनाडु के प्रख्यात विद्वान्‌। इनका जन्म विशाखापत्तन जिले में कवलरायी ग्राम में अय्यल सोमयाज के घर हुआ था। बचपन से रोगग्रस्त रहने के कारण शिक्षा की कोई व्यवस्था न हो सकी। उसके बाद रोगमुक्त होने पर चौदह वर्ष की अवस्था में ही उन्होंने संस्कृत, गणित, ज्योतिष, पंच महाकाव्य और साहित्यशास्र का अध्ययन समाप्त कर डाला। और उसी समय से उन्होंने सहस्रवधि संस्कृत श्लोकों की रचना तथा संस्कृत में प्रवचन करना आरंभ कर दिया। 18 वर्ष की अवस्था में गोदावरी तट पर परेमा तीर्थ में जाकर तप करने लगे, पश्चात्‌ काशी आए और यहाँ अपने बुद्धि वैभव का चमत्कार प्रदर्शित किया। फिर नवद्वीप (बंगाल) जाकर अंबिकादत्त को शास्स्रार्थ में पराजित कर काव्यकंठ की उपाधि प्राप्त की। अट्ठावन वर्ष की अवस्था में आंध्र में त्रिपुरा स्थित वैदिक संघ आश्रम में अपनी इहलीला समाप्त की। उमासहस्रम्‌, इंद्राणी सप्तशती, शिवशतकम्‌ नामक स्तोत्र और विश्वमीमांसा, महाविद्यासूत्रम्‌, राजयोगसारसूत्रम्‌, शब्दप्रमाण चर्चा, विवाह धर्मसूत्र, ईशोपनिषद् भाष्य उनके प्रख्यात धर्म और दर्शन ग्रंथ हैं। इनके अतिरिक्त उन्होंने आयुर्वेद और ज्योतिष विषयक 5-6 ग्रंथ लिखे तथा महाभारतविमर्श नामक एक बृहत्‌ ग्रंथ की रचना की।


टीका टिप्पणी और संदर्भ