गुस्ताफ फिलिप क्रेउत्स
गुस्ताफ फिलिप क्रेउत्स
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 216 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
गुस्ताफ फिलिप क्रेउत्स (1731-1785 ई.)। स्वीडेन का प्रख्यात कवि। इनका जन्म फिनलैंड में और शिक्षा अबो में हुई थीं। 1751 ई. में वे स्टाकहोम में कोर्ट ऑव चांसेरी में नौकर हुए। इसी काल में 1751 ई. और 1763 ई. के बीच उन्होंने अपनी कविताएँ लिखीं। 1763 ई. में वे राजदूत बनाकर मैड्रिड (स्पेन) और तीन वर्ष पश्चात् पेरिस (फ्रांस) भेजे गए। 1783 ई. में स्वीडन नरेश गुस्ताफ तृतीय ने वापस बुलाकर उन्हें नाना रूप से सम्मानित किया। उनकी अधिकांश रचनाएँ गाइलानबुर्ग के साथ संयुक्त रूप में प्रकाशित हुई हैं। गाइलानबुर्ग ने अपने मित्र की साहित्यिक प्रतिभा का सर्वप्रथम मूल्यांकन किया और उनकी महत्ता स्वीकार की थी। क्रेउत्स ने अपनी रचनाओं द्वारा स्वीडिश काव्य में पहली बार स्वर और लालित्य का समावेश किया, जिसका उस समय तक सर्वथा अभाव था। वे अपने देश में ‘भाषा सँवारने वालों में अन्यतम’ कहे जाते हैं। 30 अक्तूबर, 1785 ई. को उनकी मृत्यु हुई।
टीका टिप्पणी और संदर्भ