ग्रैब

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लेख सूचना
ग्रैब
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4
पृष्ठ संख्या 85
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक फूलदेव सहाय वर्मा
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक तुलसी नारायण सिंह

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ग्रैब (Grabbe, Christian Dietrich) जर्मन (१८०१-१८३६) इनके पिता जेल सुपरिटेंडेंट थे। इन्होंने कानून का अध्ययन किया। लेकिन इन्हें अपनी प्रतिभा पर पूरा विश्वास था और वकील न बनकर रंगमंच के लिये नाटक लिखकर जीविकोपार्जन का मार्ग इन्हें अनुकूल मालूम हुआ। शुरू में इन्हें असफलता और कठिनाई का ही अनुभव हुआ और मजबूर होकर इन्होंने डेटमोल्ड में वकालत शुरू कर दी। लेकिन इन्हें अत्यधिक मात्रा में शराब पीने की बुरी लत पड़ गई थी। इस बुरी आदत तथा स्वभाव की कतिपय विलक्षणताओं ने इन्हें सन्‌ १८३४ में कानून छोड़ देने पर मजबूर कर दिया। कुछ समय तक इन्होंने नाटक संबंधी मामलों में इमरमान (Immermann) के सहयोगी के रूप में काम किया लेकिन फिर झगड़ा होने के कारण ये वहाँ से हट गए। असंयमित जीवनके कारण इनका शरीर प्राय: खोखला हो गया था और ३५ वर्ष की कम उम्र में ही इनकी मृत्यु हो गई।

जर्मन नाट्य साहित्य में ग्रैब का विशिष्ट स्थान है। इन्होंने अपने नाटकों जर्मन नाट्य साहित्य को राष्ट्रीय और ऐतिहासिक तत्व दिया। प्रारंभिक रचनाओं पर शेक्सपियर और शिलर का प्रभाव है लेकिन धीरेधीरे इन्होंने अपनी स्वतंत्र यथार्थवादी शैली विकसित कर ली जो इनके नेपोलियन और दि हंड्रेड डेज़ (१८३५) और हैनिबाल (१८३८) में देखने को मिलती है। इनके नाटकों में टेकनीक का नयापन भी है जिसका प्रभाव हॉप्टमैन, वाडकिंड, जोस्ट तथा कई अन्य नाटककारों पर पड़ा। जोस्ट ने अपनी ट्रेजेडी 'दि लोनली मैन' में ग्रैब को एक चरित्र के माध्यम से प्रस्तुत किया है। ग्रैब की प्रातिभा पूर्ण रूप से मुखरित नहीं हो पाई अन्यथा ये जर्मन नाट्य साहित्य में और भी ऊँचे उठे होते।


टीका टिप्पणी और संदर्भ