ग्लाइकाज, बैज़ंटाइन

अद्‌भुत भारत की खोज
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  • ग्लाइकाज बैज़ंटाइन, (११३५-११९९) अपने समय में ईसाई धर्म के सिद्धांतों के प्रकांड पंडित के रूप में इसकी ख्याति थी।
  • इन्होंने 'यूखेरिस्ट या 'लॉर्डस्‌ सपर' के संबंध में अपने मैलिक विचार दिए। साहित्य के क्षेत्र में भी इन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किया।
  • इनकी रचनाएँ मध्ययुगीन यूनानी जीवन और उसकी विशेषताओं की सच्ची अभिव्यक्ति करती हैं।
  • इनकी एक कविता 'क्रानिकिल में उस समय की साहित्यिक परंपरा के अनुसार सृष्टि की कहानी है। लेकिन इसमें इन्होंने कुछ पशु पक्षियों की कहानियाँ भी जोड़ दी हैं। जैसे फिनिक्स पक्षी की कहानी जो अपनी जाति का अकेला है और जीवन का एक क्रम पूरा कर लेने के बाद आग में कूदकर जल जाता है। लेकिन अपनी राख से वह फिर उठ खड़ा होता है और इस प्रकार उसका कभी नाश नहीं होता।
  • धर्म पर भी इन्होंने एक छोटी सी पुस्तक लिखी जिसमें दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाले मुहावरों पर गद्य और पद्य दोनों में व्याख्या देते हुए जनसाधारण को नैतिक शिक्षा देने का प्रयास किया गया है।
  • इन्होंने लेखक के रूप में जनरुचि का सदा ख्याल किया और सर्वाधिक लोकप्रियता का समावेश कर उसे ताजगी और मौलिकता प्रदान की।


टीका टिप्पणी और संदर्भ