ग्लिसरिन

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लेख सूचना
ग्लिसरिन
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4
पृष्ठ संख्या 90
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक फूलदेव सहाय वर्मा
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक फूलदेवसहाय वर्मा

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ग्लिसरिन (काहा२ औहा . काहा औहा . काहा२ औहा, C H2 O H. C H O H C H2 O H ). तेल और वसा में पाया जाता है। साबुन और वसा अम्लों के निर्माण में तेल और वसा का साबुनीकरण से उपजात के रूप में ग्लिसरिन प्राप्त हो सकता है। तेल और वसा को यदि अति तप्त भाप से विघटित किया जाय तो अपेक्षया शुद्ध ग्लिसरिन प्राप्त होता है। शर्कराओं के डाइ-सोडियम सल्फाइट की उपस्थिति में यीस्ट द्वारा किणवन से ऐल्कोहल के साथ साथ ग्लिसरिन अच्छी मात्रा में प्राप्त हुआ है। इसमें कुछ ऐसिटैल्डीहाइड, दश प्रतिशत तक, बनता है। शर्कराओं का २० से २५ प्रति शत ग्लिसरिन में परिणत हो जाता है।

तेल और वसा के साबुनीकरण द्वारा साबुन के निर्माण में उपजात के रूप में एक जलीय विलयन प्राप्त होता है, जिसे 'मीठा जल' कहते हैं। मीठा जल को हड्डी के कोयले से उपचारित कर भाप द्वारा आसवन से जो जलीय असुत प्राप्त होता है उसके सांद्रण से शुद्ध ग्लिसरिन प्राप्त हो सकता है। पर ऐसा ग्लिसरिन विस्फोटक के लिये अच्छा नहीं समझा जाता। अति तप्त भाप के विघटन से अथवा शर्कराओं के किण्वन से प्राप्त ग्लिसरिन ही विस्फोटक के लिये उत्तम होता है। ग्लिसरिन का संश्लेषण भी प्रयोगशालाओं में हुआ है। उससे निश्चित रूप से पता लगता है कि यह ऐल्कोहल वर्ग का यौगिक है और इसमें तीन हाइड्राक्सिल समूह विद्यमान हैं। इससे इसके संघटन में कोई संदेह नही रह जाता। ग्लिसरिन तेल सा गाढ़ा पारदर्शक द्रव है। स्वाद में मीठा होता है। १५° सें. पर इसका आपेक्षिक गुरुत्व १.२६५ है। सामान्य दबाव पर यह २९०° सें. पर, और १२ मि. मी. दबाव पर १७०° सें. पर उबलता है। ०° सें. पर यह धीरे धीरे जमकर ठोस पारदर्शक मणिभ रूप में हो जाता है, जो १७° ० सें. पर पिघलता है। जल और ऐल्कोहल में यह पूर्ण मिश्रय होता है, पर ईथर में अविलेय।

क्षार और धातुओं के हाइड्राक्साइडों के साथ यह ग्लिसरेट बनाता है और अम्लों के साथ एस्टर। तेल और वसा ग्लिसरिन और वसा-अम्लों के एस्टर हैं। नाइट्रिक अम्ल के साथ यह नाइट्रिक अम्ल का एस्टर बनाता है, जिसे अशुद्ध नाम नाइट्रो-ग्लिसरिन दिया गया है। वस्तुत: यह नाइट्रो यौगिक नहीं है। नाइट्रो-ग्लिसरिन बड़े महत्व का यौगिक है। यह बड़ी मात्रा में विस्फोटकों के निर्माण में प्रयुक्त होता है। ग्लिसरिन का अधिक भाग इसी में खपता है। थोड़ी मात्रा में नाइट्रो-ग्लिसरिन औषधियों और विषनिर्माण में भी प्रयुक्त होता है। ग्लिसरिन की एक विशेषता इसका न सूखना है। जिस पदार्थ में यह डाला जाता है, वह वायु में सदा भीगा ही रहता है। इस कारण इसका उपयोग जूते तथा फाउंटेन पेन, डुप्लिकेटर, ठप्पे और मुद्रण की स्याहियों तथा प्लास्टिक आदि बनाने में होता है। खाद्य सामग्रियों और पेयों के संरक्षण में भी ग्लिसरिन बहुमूल्य सिद्ध हुआ है। चमड़ा ग्लिसरिन को पूर्णतया अवशोषित कर लेता है। इस कारण मलहम, चर्मलेप, कांतिवर्धक अंगराग, प्रसाधन पाउडर आदि में इसका व्यवहार होता है। ब्रेक और जलीय प्रेसों में जल के स्थान पर ग्लिसरिन का उपयोग होता है। गैसमीटर में यह भरा जाता है। ग्लिसरिन और पानी का विलयन न जल्द जमता है और न जल्द उद्वाषित होता है। इस कारण वायुयानों में प्रतिहिमायक द्रव के रूप में इसका व्यवहार होता है। वस्त्रव्यवसाय में भी कुछ ग्लिसरिन खपता है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ