ग्लूकोज़
ग्लूकोज़
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 91 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | फूलदेव सहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | मोहन लाल गुजराल |
ग्लूकोज़ (Glucose) को द्राक्षा शर्करा और डेक्सट्रोज भी कहते हैं। यह अंगूर और अंजीर सदृश मीठे फलों, कुछ वनस्पतियों और मधु में पाया जाता है। अल्प मात्रा में यह रक्त और मूत्र[१] सदृश जांतव उत्पादों, लसीका (lymph) और प्रमस्तिष्क मेरुतरल (cerebrospinal fluid) में भी पाया जाता है। स्टार्च, सेलुलोज, सेलोबायोस और माल्टोज़ सदृश कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज़ से ही बने हैं। चीनी और दुग्धशर्करा जैसी कुछ शर्कराओं में अन्य शर्कराओं के साथ यह संयुक्त पाया जाता है। प्राकृतिक ग्लूकोसाइडों का यह आवश्यक अवयव है।
तनु सलफ्यूरिक अम्ल द्वारा स्टार्च के जलविश्लेषण से बड़ी मात्रा में ग्लूकोज़ तैयार किया जाता है। अल्प मात्रा में प्रयोगशालाओं में चीनी से यह तैयार हो सकता है। कृत्रिम रीति से भी इसका संश्लेषण हुआ है।
ग्लूकोज़ ऐल्फा और बीटा रूपों में पाया जाता है। सामान्य ग्लूकोज़ अम्ल दशा में १४६.५° सें. पर और जलयोजित रूप में ८६° सें. पर पिघलता है। यह दक्षिणवर्ती होता है। तुरंत के तैयार विलयन का विशिष्ट घूर्णन (a) D = + १०९.६° हेतु है, पर धीरे धीरे घूर्णन कम होकर + ५२.५ पर स्थायी हो जाता है। ऐल्फा-ग्लूकोज़ का विशिष्ट घूर्णन + १०९.६° और बीटा का + १७.५° है। सामान्य ताप पर ऐसीटिक अम्ल के मणिभीकरण से ऐल्फा रूप और पिरिडिन के विलियन के मणिभीकरण से बीटा रूप प्राप्त होता है। वामवर्ती ग्लूकोज़ भी प्राप्त हुआ है। यीस्ट से ग्लूकोज़ का किण्वन सरलता से होता है।
ग्लूकोज़ प्रमुख आहार औषध है। इससे देह में उष्णता और शक्ति उत्पन्न होती है। मिठाइयों और सुराओं के निर्माण में भी यह व्यवहृत होता है। ग्लाइकोजन के रूप में यह यकृत और पेशियों में संचित रहता है। इसका अणुसूत्र का६ हा१२ औ६ (C६ H१२ O६) और आकृतिसूत्र है:
काहा२ औह-काहाऔहा-काहाऔहा-काहाऔहा-काहाऔहा-काहाऔ (CH2 OH. CHOH. CHOH. CHOH. CHOH. CHO)
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विशेषत: मधुमेह रोगी के मूत्र