ग्वेजो
ग्वेजो
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 99 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | फूलदेव सहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | काशी नाथ सिंह |
ग्वेजो यह दक्षिण-पश्चिमी चीन का एक प्रांत है जिसके उत्तर में सच्वान, दक्षिण में ग्वाँसी, पूर्व में हूनान तथा पश्चिम में युन्नान प्रांत है। धरातल वस्तुत: उत्थापित पठार है जो विभिन्न नदियों द्वारा कट-छँटकर कई भागों में बँट गया है। किंतु मध्य में अपेक्षाकृत कम कटाछँटा बृहत् क्रोड (core) रह गया है। यह क्रोड उत्तर में यैंग्त्सी तथा दक्षिण में शी (शीजिआंग) नदियों के ऊपरी भाग में जलविभाजक के रूप में स्थित है। चूना पत्थर से बने भागों में अपक्षरण चक्र (erosion cycle) के पूर्ण हो जाने के करण अवतरण रध्रं (sinkholes) आपस में मिलकर एक हो गए है और इस प्रकार धरातल नीचा हो गया है। इमें खड़े अवशेष शिखरों के रूप में स्थित है। अपक्षरण के कारण अधिकांश क्षेत्र ४५° - ६०° तक ढालू हो गया है और कहीं भी एकाध मील से अधिक पूर्णतया समतल भाग नहीं दिखाई देता है। नदी घाटियों में से होकर ही व्यापारिक मार्ग जाते हैं।[१] द्वितीय महायुद्धकाल में यातायात का पर्याप्त विकस हुआ है। अब ग्वेयांग, चुंगकिंग तथा कुनमिंग को सड़कें जाती हैं तथा ग्वाँगसी एवं हूनान से भी संबंध हो गया है। ग्वांगसी से रेल संबंध भी हो गया है।
ऊँचा धरातल होने के कारण ग्वेजो की जलवायु दक्षिण-पूर्व की उष्णकटिबंधीय जलवायु की अपेक्षा ठंढी तथा स्वास्थ्यकर है। दक्षिण घाटियों एवं ढालों पर उष्णकटिबंधीय वन मिलते हैं लेकिन अन्यत्र कोणधारी वनों का बाहुल्य है। मंचूरिया के बाहर चीन में युवान नदी में सर्वाधिक अधिक लकड़ी बहाई जाती है। कृषियोग्य भूमि कम है। सिन-यी (Tsynyi) क्षेत्र में, जो प्रांत का सर्वाधिक मैदानी एवं उपजाऊ भाग है, केवल ३६.७ प्रति शत कृषि के लिय अप्राप्य है। ३६.७ प्रति शत कृषिभूमि में से २३.५ प्रति शत में धान तथा शेष में गेहूँ, मकई तथा विभिन्न किस्म की सेमें उपजती हैं। घाटियों तथा निचले भागों में अधिकांश चीनियों का मुख्य भोजन चावल है लेकिन पठार के उच्च भागों की आदिम जातियाँ[२] मकई, गेहूँ आदि पैदा करती हैं। पशु तथा घोड़े कुछ व्यापारिक स्तर पर पाले जाते हैं। खनिज पदार्थों में पारा तथा ताँबा प्रचुर परिमाण में उत्खनित होते हैं। लेकिन कोयलाक्षेत्र कम है। धीरे धीरे औद्योगिक विकास हो रहा है। आदिम जातियों की कसीदाकारी प्रसिद्ध है। ग्वेजों की प्रमुख निर्यात वस्तुएँ लकड़ियाँ, लकड़ी का तेल तथा चमड़ा हैं।