चपेक करेल
चपेक करेल
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 155 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | रामप्रसाद त्रिपाठी |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | ओडोलेन स्मेकल |
चपेक करेल (Capek karel) (1890-1938) चपेक पत्रकार थे। उनका चेक साहित्य में गौरवपूर्ण स्थान है। उनकी सभी प्रमुख कृतियों के असंख्य विदेशी भाषाओं में अनुवाद किए गए थे। चपेक की लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि उनकी लेखकीय प्रतिभा उद्भुत, अनोखी तथा अत्यंत गंभीर है। चपेक का मानवतापूर्ण दृष्टिकोण सभी रचनाओं में स्पष्टता से विद्यमान है। वे नाटक, उपन्यास, कहानियाँ, निबंध आदि लिखते थे। चपेक ने बहुत भ्रमण किया। उनके 'इंग्लैंड से पत्र', 'हॉलैंड से पत्र', आदि संग्रह अति प्रिय हैं। 'माँ' नामक नाटक अनेक भाषाओं में अनूदित हो चुका है। भारतीय भाषाओं में बँगला और मराठी में भी यह नाटक अनुवाद के रूप में मिलता है। 'माँ' नाटक में लेखक नाज़ी सत्ता के विरुद्ध लड़ाई करने को प्रोत्साहन देता है। उनकी बालोपयोगी पुस्तकें उनके भाई योसेफ चपेक के चित्रों से सुसज्जित हैं। अन्य महत्वपूर्ण कृतियाँ : 'इसे कैसे करता हूँ' (निबंध), 'क्रकतित' (उपन्यास), 'र.उ.र.' (नाटक), 'एक जेल की कहानियाँ', 'दूसरी जेल की कहानियाँ', 'माली का वर्ष' (निबंध), 'कीटाणू जीवन' (नाटक)।
टीका टिप्पणी और संदर्भ