चॉंदकुअँर
चॉंदकुअँर
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 182 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | रामप्रसाद त्रिपाठी |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | जितेंद्रनाथ वाजपेयी |
चाँदकुअँर महाराज रणजीतसिंह के पुत्र खड्गसिंह की पत्नी। इतिहास में यह चाँदकुमारी तथा चाँदकौर के नाम से भी प्रसिद्ध है। महाराजा रणजीतसिंह की मृत्यु के उपरांत उनके पत्रों में जो दुर्दांत संघर्ष चला उसी अवसर पर चाँदकुअँर का अभ्युदय एक शासिका के रूप में हुआ। 5 नवंबर, 1840 को महाराज खड्गसिह की मृत्यु पर रानी चाँदकुअँर के पुत्र नौनिहालसिंह को राजगद्दी मिली और जब उसी दिन रहस्यात्मक ढंग से उसकी भी मृत्यु हो गई तो रानी चाँदकुअँर ने शासन का भार सँभाला। वह अपने भावी पौत्र की संरक्षिका बनकर शासन करने लगी। उसे बहुत से योग्य व्यक्तियों तथा सिधिआनवालों का समर्थन प्राप्त था। परंतु यह वैभव अल्पकालीन था। शीघ्र ही महाराज रणजीतसिंह के अवैध पुत्र शेरसिंह ने मंत्री ध्यान सिंह की सहायता से सेना पर अपना सिक्का जमाकर लाहौर पर अधिकार कर लिया। प्रारंभ में तो उसने चाँदकौर को एक बड़ी जायदाद देकर संतुष्ट किया पर सन् 1842 में दासियों द्वारा उसका वध करवा दिया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ