जलपरी
जलपरी
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 417 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | राम प्रसाद त्रिपाठी |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | राम चंद्र सक्सेना |
जलपरी (Mermaids) जरायुज स्तनपायी जीव है। यह पौराणिक नाम इसके रूप और आदतों से प्रभावित किसी कल्पनाशील नाविक का दिया मालूम होता है। इसका दूसरा नाम 'समुद्री गाय' है, जो शायद अधिक उपयुक्त है।
बाह्य आकृति में बिल्कुल भिन्न होते हुए भी हाथियों और शाकाहारी खुरीय प्राणियों से इसकी समानता है। यह तर्कु आकार का विशालकाय और बेडौल जलचर है। इसकी पूँछ दाँतेदार न होकर पार्श्विक पर्णाभ होती है, इसका मुँह छोटा तथा थूथन चौड़ा और विरल स्थूल शूक (bristle) युक्त होता है। इसके कान बाहर नहीं होते। इसके शरीर पर बाल कम और दूर दूर होते हैं। दाँतों में दंतबल्क होता है। इसके आमाशय की बनावट जटिल होती है।
इसके अगले पैर तैरने में सहायक होते हैं। इसके पिछले पैर होते ही नहीं। यह शाकभक्षी प्राणी है। इसकी निम्नलिखित दो जातियाँ वर्तमान हैं :
- ट्रिकिकस मैनाटी (Trichechus manatee) की लंबाई 12 फुट होती है और यह फ्लोरिडा, वेस्ट इंडीज़, ब्राज़ील और पश्चिमी अफ्रका की गरम नदियों में मिलती है।
- हालिकोरी डूगांग (Halicore Dugong), या समुद्री गाय (seacow), लालसागर, हिंदमहासागर, न्यूगिनी तथा अस्ट्रेलिया में प्राप्त होती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
सं.ग्रं. - 1 वाल्टर : बॉयोलोजी ऑव वटिंब्रेट्स ; स्टोरर : जेनरल ज़ोओलोजी ; सी.एन.एच. : मैमेलिया।