जलबद्ध सड़क

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लेख सूचना
जलबद्ध सड़क
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4
पृष्ठ संख्या 418
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक राम प्रसाद त्रिपाठी
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक जगदीश मित्र त्रेहन

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जलबद्ध सड़क का वैज्ञानिक ढंग से निर्माण 19वीं सदी में प्रारंभ हुआ। जलबद्ध सड़क का जन्मदाता मकादम शायद ही जनता रहा होगा कि एक दिन सड़क इंजीनियरों के संसार में उसका नाम अमर होगा। सौ वर्षों से मकादम पृष्ठ उच्चतम कोटि का पृष्ठ माना जाता है। यातायात के साधनों में जहाँ मोटर गाड़ियाँ प्रधान हैं वहाँ मकादम पृष्ठ का ऊपरी तह के रूप में कम उपयोग है, किंतु है यह दीर्घजीवी, तथा स्थानीय साधन और श्रम से कम खर्च में तैयार होता है।

सार रूप में, गिट्टियों की फर्श बिछाकर 'जलबद्ध मकादम' तैयार किया जाता है। रोलर चलाकर गिट्टियों को पत्थरचूर्ण और पानी से 'अन्योन्यबद्ध' किया जाता है। मकादम सड़क की आधारभूत आवश्यकता है जोड़नेवाली किसी उपयुक्त चीज के योग से गिट्टियों का सुदृढ़ जमाव। इसके लिये सड़क कई परतों में बनाई जाती है और पहली परत घनी और मजबूत हो जाने पर ही उसपर दूसरी परत चढ़ाई जाती है। इस प्रकार की संरचना आधार के लिये ही उपयुक्त होती है, किंतु यदि यातायात की तीव्रता कम हो, तो ऊपरी तह के लिये भी प्रयोज्य है।

निर्माणविधि

मकादम सड़क की सबसे बड़ी आवश्यकता निचली सतह का मजबूत और ठस होना है। अत: पहले निचली सतह को इच्छित सतह पर लाकर रोलर द्वारा ठस बना लिया जाता है। निचली सतह में सूक्ष्मकणिक मिट्टी (fine grained soils), जैसे सिल्ट मिट्टी होने पर रूक्ष समुच्चय (coarse aggregate) अर्थात्‌ पत्थर रोड़ी रखने के पूर्व उसपर आवरण (screenings) की एक परत रखी जाती है, जिसे बिचली सतह (sub base) कहते हैं। निचली सतह विसंवाहक तह का काम करती है। रोलर चलाते समय सूक्ष्मकणिक मिट्टी को रूक्ष समुच्चय में आने से यह रोकती है।

इसके बाद पूर्वनिश्चित गहराई में रूक्ष समुच्चय के फैलाने तथा रोलर द्वारा उसके दृढ़ीकरण का प्रधान काम होता है। रोलर द्वारा समुच्चय के ठस हो जाने पर पृष्ठ पर आवरण चढ़ाया जाता है। आवरण इतना चढ़ाया जाता है कि सभी अंतराल अच्छी तरह भर जाएँ। रिक्तियों के पूर्ण हो जाने पर पानी का छिड़काव करते हुए रोलर चलाया जाता है। ऐसा करने से समूची गहराई तक पाषाणसमुच्चय सम्यक्‌ रूप में बद्ध तथा ठस हो जाता है। तराई (curing) तथा सुखाई के बाद सड़क चालू हो जाती है।

आजकल पत्थर की रोड़ियों के नीचे गोला पत्थर या ईटं की एक परत दी जाती है। इसे रोड़ा भराई (soling) कहते हैं।

जलबद्ध सड़क से लाभ तथा हानि

सड़क निर्माण के समय बहुत ध्यान देने पर भी कुछ त्रुटियाँ रह जाती हैं, जिनके कारण जलबद्ध सड़क शीघ्र बिगड़ने लगती है। त्रुटियों के कारण बरसात के दिनों में सड़क में पानी रिसने लगता है। यातायात में गिट्टियों का घर्षण होता है, जिससे धूल और कीचड़ उत्पन्न होती है।

जलबद्ध सड़क के निर्माण में खर्च कम पड़ता है, क्योंकि इसमें केवल स्थानीय सामग्री का ही उपयोग होता है, श्रम कम लगता है और भारी भरकम मशीनों का प्रयोग नहीं करना पड़ता। मंचनिर्माण के लिये तो यह बहुत ही उपयुक्त है। फर्श को चाहे जब मजबूत किया जा सकता है। इन गुणों ने ही जलबद्ध मकादम सड़क को महत्वपूर्ण बना रखा है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

सं.ग्रं.- रिटर ऐंड पैकेट : हाइवे इंजीनियरिंग; कृष्णास्वामी : मैनुएल ऑव हाइवे, इंजीनियरिंग; मेकेलवी ऐंड राघवाचारी: वाटरबाउंड मकादम, जर्नल ऑव दि इंडियन रोड कांग्रेस, भाग 11-2।