जार्ज कैनिंग
जार्ज कैनिंग
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 138 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | मोहम्मद अजहर असगर अंसारी |
जार्ज कैनिंग (1770-1827)। अंग्रेज राजनीतिज्ञ। 11 अप्रैल 1770 को लंदन में जन्म। पिता की मृत्यु के बाद माँ ने अपना दूसरा विवाह कर लिया। फलत: उनके चचा स्फैटर्ड कैनिंग ने उनकी देखभाल की। उन्होंने एटन और आक्सफर्ड में शिक्षा प्राप्त की। 1892 में आक्सफर्ड से निकले और एक वर्ष पश्चात् पार्लमेंट में पिट के सहायक के रूप में भाग लेना आरंभ किया। 1796 में विदेश संबंधी विभाग में उपसचिव नियुक्त हुए। तीन वर्ष पश्चात् भारत के कमिश्नर बनाए गए। 1800 ई. में सेना के ज्वाइंट पे मास्टर रहे। पिट के इस्तीफा देने पर इन्होंने भी इस्तीफा दे दिया। पिट ने जब दूसरी बार शासन ग्रहण किया तब कैनिंग नौसेना के कोषाध्यक्ष नियुक्त हुए। पिट के मरने के बाद फॉक्स के नेतृत्व में काम करने से इनकार कर दिया। फॉक्स की मृत्यु के पश्चात् पुन: मंत्रिमंडल में वैदेशिक मंत्री बने और स्पेन से लड़ाई आरंभ की। 1718 में ईस्ट इंडिया कंपनी के अध्यक्ष नियुक्त हुए और पिंडारियों तथा मराठों के विरूद्ध लड़ने में लार्ड हेस्टिंग्ज की सहायता की।
1822 में पुन: विदेश मंत्री बने और हाउस ऑव कार्मस के नेता चुने गए। विदेशी नीति के कारण ही इनकी प्रसिद्धि हुई। ये विदेशी झगड़ों में मौन रहे और पूर्वी आंदोलन का समर्थन किया। कैनिंग की नीति तटस्थता की रही, पर लापरवाही की कभी नहीं रही। उन्होंने संयुक्त संघ का साथ देने से इनकार कर दिया क्योंकि वह स्पेन के मामले में हस्तक्षेप कर रहा था। उनका कहना था कि अगर फ्रांस स्पेन पर अधिकार जमाना ही चाहता है तो उसे स्पेन के उपनिवेशों से हाथ धोना पड़ेगा। मैंने नई दुनिया की नींव इसी लिए डाली है कि वह पुरानी दुनिया की राजनीति के दबाव से मुक्त हो।
लीवरपूल के पश्चात् कैनिंग ने प्रधान मंत्री का पद सँभाला। मगर अधिक समय तक जीवित न रहे। 8 अगस्त, 1827 ई. को उनकी मृत्यु हो गई।
टीका टिप्पणी और संदर्भ