जार्ज बेंजमिन क्लेमांसो

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लेख सूचना
जार्ज बेंजमिन क्लेमांसो
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 241
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक राजेंद्र अवस्थी

जार्ज बेंजमिन क्लेमांसो (1841-1929 ई.) फ्रांसीसी प्रशासक तथा पत्रकार। 28 सितंबर, 1841 को मुलेरों में जन्म। इन्होंने ओषधि विज्ञान में शिक्षा प्राप्त की और चिकित्सक के रूप में पेरिस आए। सन्‌ 1860 ई. में चिकित्सक का कार्य परित्याग कर उन्होंने सार्वजनिक जीवन में मोंतमात्र के नगर अभियंता के रूप में प्रवेश किया। राजनीतिक आदर्शों में वे गणतंत्र के पक्षपातों तथा द्वितीय फ्रांसीसी साम्राज्य के शत्रु थे। साथ ही निरंकुश सरकारों के प्रति गुप्त रूप से लगाव भी था। उनकी दृष्टि में राजनीति शक्ति के अर्जुन का एक संघर्ष है और इसीलिए यह कहा जाता है कि उनके देशप्रेम में कुछ रोमन तत्व विद्यमान था जिसके फलस्वरूप वे शांतिपरायण व्यक्तियों को हेय दृष्टि से देखते थे।

इस रूप में उनका संघर्ष कम्यूनद से हो गया जिसने उन्हें गोली से उड़कर मृत्युदंड देने की धमकी भी मिली थी। जार्ज स्टुअर्ट मिल के प्रगतिशील विचारों से प्रभावित होकर जनतंत्र के सिद्धांत के व्यावहारकि रूप के परिणामों के अध्ययन के प्रति उनकी उत्सुकता जागी। फलस्वरूप वे 1866 ई. के आरंभ का विवरण पेरिस की पत्रिका टेप्स के लिए भेजते और जीविका के लिये लड़कियों के एक स्कूल में फ्रेंच पढ़ाते रहे।

1869 ई. में पेरिस वापस आए और 1870 की राजक्रांति के बाद वे पेरिस के मेयर मनोनीत हुए। 8 फरवरी, 1871 को रेडिकल दल की ओर से राष्ट्रीय असेंबली के सदस्य चुने गए। सन्‌ 1876 ई. में फ्रांस की संसद् के निचले सदन के सदस्य निर्वाचित होकर रिपब्लिकन दल में सम्मिलित हुए। सन्‌ 1876 ई. के बाद, जब राजतंत्र के पक्षपातियों की हार चुकी थी और गणतंत्र संगठित हो रहा था, वे क्रांतिकारी और जाकोबें दल के सदस्य बने। संसद् सदस्य के रूप में उन्होंने सर्वमताधिकार, सेनेट की शक्तियों में कमी, चर्च और राज्य के पूर्ण अलगाव, औपनिवेशिक प्रसार से दुराव आदि के आदर्श व्यक्त किए। संसद् के सदस्य के रूप लगातार 15 वर्षों तक फ्रांस की प्रत्येक सरकार का विरोध करने के कारण अनेक लोग उनके शत्रु हो गए। फलत: 1893 ई. के चुनाव में उनकी हार हुई।

उस समय से 1897 ई. तक उन्होंने पत्रकारिता का जीवन व्यतीत किया। 1897 ई. में ‘द्रफू कांड’ ने इन्हें आकृष्ट किया जिसमें जोला के साथ अपराधी कप्तान का पक्ष लेते हुए ये गणतंत्र के कार्यों में पुन: दिलचस्पी लेने लगे। 1902 ई. में ये सेनेट के सदस्य चुने गए तथा उसके चार वर्ष बाद गृहमंत्री नियुक्त हुए। 1906 ई. से 1909 ई. तक प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। 1909 ई. में पद से त्यागपत्र देकर 1917 ई. तक राजनीति से अलग रहे।

1917 ई. में युद्ध के फलस्वरूप फ्रांस की बिगड़ी हुई स्थिति के सुधार के निमित्त योग्य नेतृत्व की माँग को पूरा करने के के लिए इन्होंने 76 वर्ष की अवस्था में पुन: प्रधान मंत्री का पद संभाला। 1917 से 1920 ई. का काल उनके जीवन का सफल काल था। इसी काल में वे फ्रांस केसरी के नाम से पुकारे गए। युद्धोपरांत जब शांतिस्थापना का समय साया तब उन्हें बरसाई सम्मेलन का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। बरसाई संधि हो जाने पर इन्होंने राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लिया। पेरिस में 24 नवंबर, 1929 को उनकी मृत्यु हुई।[१]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सं.ग्रं.-ऐडम्स, जार्ज : द टाइगर, न्यूयार्क, 1930।