जीन लुई आरमं क्वाटे्रफाज द ब्रेउ
जीन लुई आरमं क्वाटे्रफाज द ब्रेउ
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 255 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
जीन लुई आरमंड दे क्वाट्रेफाज द ब्रेउ (1810-1892 ई.) फ्रेंच नृतत्वविद् और जीव वैज्ञानिक। 10 फरवरी, 1810 को वैलरेग में जन्म। 22 वर्ष की अवस्था होते होते उसने स्ट्रास-वर्ग विश्वविद्यालय से दो विषयों में डाक्टरेट प्राप्त की । एक गणित में और दूसरा चिकित्साशास्त्र में। टूलां में कुछ काल सफलतापूर्वक चिकित्सक का कार्य करने के पश्चात् 1840 में उसने प्रकृति विज्ञान में पेरिस विश्वविद्यालय से एक तीसरी डाक्टरेट प्राप्त की। अगले पंद्रह वर्षो तक वह समुद्रतटीय जीवों का अध्ययन करता रहा और तुलनात्मक सूक्ष्भौतिक विज्ञान (Histology) का सूत्रपात किया।
1855 में वह पेरिस के जंतु संग्रहालय में शरीर रचनाशास्त्र एवं नृतत्व विभाग के अधिकारी के पद पर नियुक्त हुआ और तब उसके जीवन में एक नया अध्याय खुला। उसने अपने देश की विभिन्न संस्थाओं, द्वारा शारीरिक नृतत्व को एक सुस्थिर आधार प्रदान किया और इस दिशा में पेरिस शोध का एक केंद्र बना। उसे अपने देश की विभिन्न संस्थाओं द्वारा जो मानसम्मान मिला, वह तो मिला ही, अन्यत्र भी उसकी नृतत्व के प्रमुख विद्वान् के रूप में ख्याति हुई।12 जनवरी, 1892 को पेरिस में उसकी मृत्यु हुई।
टीका टिप्पणी और संदर्भ