जेनोक्रातिज

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
  • जेनोक्रातिज एक ग्रीक दर्शनिक थे।
  • कलशेडन में 396 ई. पू. में जन्म और 314 ई. पू. में मृत्यु।
  • छोटी उम्र में ही एथेंस जाकर वह आखिनीज़ का शिष्य हो गया, और उसने सुकरात के दर्शन का अध्ययन किया। 361 ई. पू.।
  • वह प्लेटो का शिष्य हो गया, उसके साथ सिराक्यूज़ गया, जहाँ वह प्लेटो की मृत्यु (341 ई. पू.) तक रहा।
  • 339 ई. पू. वह प्लेटो की अकादमी का अध्यक्ष बना और जीवन भर वहीं रहा।
  • अफलातूनी दर्शन के प्रतिनिधि के रूप में उसने पिथागोरस के सिद्धांतों का पोषण किया।
  • वह मौलिक विचारक की अपेक्षा विद्वान्‌ शिक्षक अधिक था। एपीक्यूरस उसके शिष्यों में से था।

टीका टिप्पणी और संदर्भ