टाइटेनियम

अद्‌भुत भारत की खोज
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टाइटेनियम तत्व का सबसे पहले सन्‌ १७९१ में ग्रेटर ने पता लगाया तथा सन्‌ १७९५ में क्लापराथ ने इसका नाम टाइटेनियम रखा। इसके मुख्य खनिज इलमिनाइट तथा रुटाइल हैं। दूसरे खनिज स्थुडोब्रुकाइट, लो४ (टाइ ओ४) ३ (Fe४ (TiO४) ३), एरीजोनाइट, लोइ (टाइ औ३)३ ) (Fe२ (TiO३)३), गाइकीलाइट मैगटाइओ३ (MgTiO३) तथा पायरोफेनाइट, मैंटाइऔ३ (MnTiO३) इत्यादि हैं

प्राप्ति

धातु के क्लोराइड के वाष्प को द्रवित सोडियम के ऊपर से पारित करने पर, अथवा पोटासियम के साथ अवकरण से, अथवा धातु के हेलोजन लवण या ऑक्साइड के कैल्सियम, मैग्नीशियम या ऐल्यूमिनियम द्वारा अवकरण से यह धातु प्राप्त होती है। बुसे (सन्‌ १८५३) ने पोटासियम टाइटेनेट, सोडियम सल्फेट और सल्फयूरिक अम्ल के विद्युद्विच्छेदन द्वारा सफेद टाइटेनियम प्राप्त किया था।

लोहे जैसी धातु

यह लोहे जैसी धातु है। इसका आपेक्षिक घनत्व ३.४९ से ३.५९ तक तथा द्रवणांक लगभग २,००० सें० है। यह हवा में स्थायी है, परंतु १,२००० सें० ताप तक गरम करने पर टाइटेनियम ऑक्साइड, टाइ औ२ (TiO2), बनता है हैलोजन सरलता से इस धातु को आक्रांत करते हैं। फ्लोरीन सबसे आसानी से तथा आयोडीन देर में और ऊँचे ताप पर आक्रांत करता है। यह नाइट्रोजन फॉस्फोरस, बोरॉन तथा सल्फर से ऊँचे ताप पर क्रिया करके नाइट्राइड, फॉस्फाइड, बोराइड तथा सल्फाइड बनाती है। हाइड्रोल्कोरिक अम्ल, सल्फ्यूरिक अम्ल तथा नाइट्रिक अम्ल इसको सरलता से आक्रांत करते हैं। ऑक्सीकारक पदार्थ जैसे पोटासियम क्लोरेट, पोटासियम परमैंगेनेट इत्यादि, की इस पर बड़ी तीव्रता से क्रिया होती है।

ताँबे के साथ यह क्यूप्रोटाइटेनियम, चाँदी के साथ आरजेंटोटाइटेनियम एवं ऐल्यूमिनियम के साथ कई प्रकार की मिश्रधातुएँ, जैसे ऐ३टाइ२ (Al३Ti२) ऐ४टाइ (Al४Ti) और ऐ३टाइ (Al३Ti) बनता है।

इसके सब लवण पानी में टूट जाते हैं। अम्लीय विलयन में हाइड्रोजन पेराँक्साइड, हा२ औ२ (H२O२), डालने से नारंगी रंग उत्पन्न होता है। अवकारक पदार्थ, जैसे जिंक अथवा टिन, की उपस्थिति में सल्फ्यूरिक अम्ल में टाइटेनियम के लवण नीला अथवा बैंगनी रंग देते हैं। ऐलिज़रिन सल्फोनिक अम्ल टाइटेनियम के लवणों के साथ बैंगनी रंग देते हैं।

टाइटोनियम २,३ तथा ४ संयोजकतावाले लवण बनाता है। जैसे टाइ फ्लो३ (Ti F3) टाइ फ्लो४ (Ti F4) टाइ क्लो२ (Ti Cl2) टाइ क्लो३ (Ti Cl3) टाइ क्लो४ (Ti Cl4) टाइ ब्रो२ (Ti Br2) टाइ ब्रो४ (Ti Br4) टाइ आ२ (Ti I2) टाइ आ३ (Ti I3) टाइ आ४ (Ti I4) टाइ२ गं३ (Ti2 S3) टाइ गं औ४ (Ti2 SO4), टाइ२ गं औ४)३ [Ti2 (SO4)३ ] तथा टाइ गं औ४)२ [(Ti (SO4)२] टाइ औ२ (TiO2) से तरह तरह के टाइटेनेट, जैसे पो२ टाइ३ औ३ (K2 Ti3 O7), य३ टाइ२ औ७ (Zn3 Ti4 O7 ), मैं२ टाइ औ४ (Mn2 TiO4 ), कोटाइ औ३(CoTiO3) इत्यादि बनते हैं।

टाइटेनियम बहुत से संकीर्ण यौगिक भी बनाता है और इस गुण में जिरकोनियम, हाफ्नियम तथा थोरियम से बहुत मिलता है। इसके द्विलवण भी अधिक संख्या में मिलते हैं। इसके मुख्य संकीर्ण यौगिक ऐमाइन तथा ऑक्सीजन युक्त पदार्थ, चीलेट, ऑक्सैलेट, कैटीकोल तथा हैलोजेन इत्यादि हैं।

अभी तक शुद्ध धातु का कोई विशेष उपयोग नहीं हो पाया है, परंतु इसकी मिश्रधातुएँ बड़े महत्व की हैं और लोहस और अलोहस धातुओं के शोधन में काम आती हैं। इसके यौगिक कागज, कपड़ा, चमड़ा, ऊन इत्यादि रँगने तथा चीनी मिट्टी के बरतनों पर लुक करने के काम आते हैं।

(संकठाप्राद)


टीका टिप्पणी और संदर्भ