टाइबीरिायस क्लाडियस डू क्लाडियस

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लेख सूचना
टाइबीरिायस क्लाडियस डू क्लाडियस
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 232
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक परमेश्वरीलाल गुप्त

टाइबीरियस क्लाडियस डूसस नीरो जरमेनिकस क्लाडियस (41-54 ई.) रोम का सम्राट। डूसस और अंटोनि का पुत्र सम्राट् टाइबेरिसय का भतीजा, सम्राट् आगस्तस की पत्नी लीविया का पौत्र। इसका जन्म 1 अगस्त, 10 ई. पू. हुआ था कैलिगुला की हत्या के पश्चात्‌ प्रैटोरियनों ने इसे सम्राट् बनाया। अपने शासन काल के आरंभिक काल में ही उसने अपने साम्राज्य का सीमाविस्तार किया। 43 ई. में उसने मॉरिटानिया को पराजित कर अपने अधिकार में किया। उसी वर्ष वह स्वयं एक सैनिक अभियान पर ब्रिटेन गया और दक्षिणी ब्रिटेन पर रोमनों का अधिकार जमा। 44 ई. में जूडिया को, जो राजा अग्रिप्पा को मिला था, अपने साम्राज्य का एक प्रांत बनाया और 46 ई. से ्थ्रोस के राज्य पर अधिकार किया।

इसके शासनकाल में काफी प्रशासनिक विकास हुए। प्रांतों में प्रोक्युटोरियल सरकारों का विस्तार हुआ। प्रांतीय प्रोक्युटरों को आर्थिक मामलों में सम्राट् के समान अधिकार प्राप्त हुए। वेतन का एक नियमित मान निर्धारित किया गया। राजा के फ्रीडमैनों के अधिकारों में वृद्धि हुई। वे राजा के निजी नौकर होते हुए भी शक्तिशाली मंत्री बन गए और उन्हें अधिक संमान और पुरस्कार प्राप्त हुए । फ्रीडमैनों का शासन यद्यपि सुव्यवस्थित था किंतु वे स्वयं धृष्ट और भ्रष्टाचारी बन गए जिसका संभ्रांत समाज ने विरोध किया।

इस काल में सम्राट के निजी दरबार का महत्व बढ़ गया। उसके पूर्ववर्ती सम्राट् अगस्टस और टाइबीरियस के समय में दरबार का न्यायाधिकार कुछ ही सीमित अवस्थाओं में प्रयोग में आता था। किंतु क्लाडियस को न्याय करने की कुछ अधिक धुन थी। बहुत से मुकदमों को वह बंद कमरे में सुनता था और प्राय: अपनी वहम के अनुसार निर्णय करता था।

इसके काल के सार्वजनिक कार्यो में ओस्टिया के नए बंदरगाह, फुसाइन झील की नहर के निर्माण आदि उल्लेखनीय हैं।

क्लाडियस शासक के अतिरिक्त लेखक भी था। उसने कई इतिहास ग्रंथ और अपनी आत्मकथा लिखी थी।

अगस्तस और टाइबीरियस के शासन काल में भारत के साथ जो व्यापारिक संबंध बढ़ा था वह इसके शासनकाल में चरम सीमा पर पहुंचा। इसके सोने और चाँदी के सिक्के बड़ी मात्रा में दक्षिण भारत के तटवर्ती प्रदेशों में प्राप्त होते हैं। भारत से निर्यात होने वाली वस्तुओं के मूल्य स्वरूप रोम से ये सिक्के उन दिनों बड़ी मात्रा में आते थे।

जीवन के अंतिम दिनों क्लाडियस अपने मुसाहिबों और स्त्रियों के प्रभाव में आ गया था जिसके कारण शासन में बड़ी अव्यवस्था उत्पन्न हो गई थी। 54 ई. में उसे जहर दिया गया जिससे उसकी मृत्यु हो गई।

टीका टिप्पणी और संदर्भ