ट्रैंसवाल

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लेख सूचना
ट्रैंसवाल
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 5
पृष्ठ संख्या 195
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक रामप्रसाद त्रिपाठी
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1965 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी

स्थिति तथा नामकरण

22.5° 27.5¢ दक्षिणी अक्षांश तथा 25° 38¢ पूर्वी देशांतर। यह दक्षिण अफ्रीका संघ का उत्तरी राज्य, दक्षिण पश्चिम से उत्तर-पूर्व लंबाई 570 मील, पूर्व-पश्चिम 397 मील, क्षेत्रफल 1,10,450 वर्ग मील, जनसंख्या 49 लाख है। बाल नदी के 'पार' क्षेत्र में स्थित होने के कारण बोर लोगों ने ट्रैंसवाल (वाल के पार का क्षेत्र) नाम दिया।

क्षेत्र का विभाजन

इसका धरातल विषम एवं उठा हुआ पठारी है। समूचे क्षेत्र को हम चार भागों में विभाजित कर सकते है:

  1. ऊँचा वेल्ड
  2. मध्य वेल्ड
  3. बुश वेल्ड तथा
  4. नीचा बेल्ड

भौगोलिक संरचना व वर्षा की स्थिति

ऊँचा वेल्ड क्षेत्र दक्षिण एवं पूर्व में फैला है और समुद्रतल से लगभग 3500 फुट से लेकर 6000 फुट तक उठा हुआ है। इस क्षेत्र में लगभग 20 से 35 वार्षिक वर्षा होती है। यहाँ स्वर्ण एवं कोयला प्राप्य हैं। मध्य वेल्ड बीच में फैला है जिसकी ऊँचाई 3000 से 4000 फुट है। इसके उत्तर, पूर्व एवं पश्चिम में निचले मैदान हैं। इस क्षेत्र में लंबी किंतु नीची एवं पथरीली पहाड़ी श्रेणियाँ फैली हैं जिन्हें 'रैंड'कहते हैं। यहाँ हीरा (किंबरले क्षेत्र) तथा लोह खनिज पाए जाते हैं। यहाँ 15 से 30 वार्षिक वर्षा होती है, जो उच्च वेल्ड की अपेक्षा कुछ न्यून है। बुश वेल्ड क्षेत्र विषम धरातलीय है और यहाँ ज्वालामुखीय उद्गार की चट्टानें मिलती हैं। यहाँ वार्षिक वर्ष लगभग 15 से 25 होती है। टिन, प्लैटिनम, क्रोम, नमक तथा अन्य खनिज मिलते है। नीचा बेल्ड क्षेत्र उत्तरी सीमांत (लिंपोपो नदी जो दक्षिणी रोडीजिया एवं ट्रैसवाल की सीमारेखा है) तक फैला है। इसका सीमावर्ती क्षेत्र पर्वतीय है किंतु अधिकांश क्षेत्र की औसत ऊँचाई लगभग 3000 फुट है। यहाँ पश्चिम (20") से पूर्व की ओर (50" से 70") वर्षा की मात्रा बढ़ती जाती है। यहाँ सोने, टैल्क, मैग्नेसाइट, ताँबा तथा अभ्रक की खाने हैं।

कृषि तथा पशुपालन

ट्रैसवाल के अधिकांश क्षेत्र में जानवरों का शिकार निषिद्ध है और यहाँ नौ सुरक्षित विशाल शिकारगाह हैं, जिनमें क्रूजर राष्ट्रीय उद्यान सबसे बड़ा है। अधिकांश क्षेत्र वनों के काटने के कारण वनविहीन हो गए हैं किंतु अब लाखों एकड़ में बन लगाए गए हैं। कृषि तथा पशुपालन समुन्नत व्यवसाय हैं। कृषिक उपजों में मक्का, गेहूँ, जौ, जई, आलू, सेम, मटर तथा रसदार फल (अंशत: निर्यातार्थ) तथा पशुओं में गाय, बैल, भैंस, सुअर, भेड़ें और घोड़े आदि मुख्य हैं।

खनिज पदार्थ तथा व्यवसाय

खनिज पदार्थों में सोना, हीरा एवं कोयले का अधिक उत्पादन होता है। हीरे की सबसे बड़ी खान यहीं किंबरले में स्थित है। प्रिटोरिआ तथा वेरीनिगिंग में लौह एवं इस्पात के कारखाने हैं। ट्रैंसवाल में 5000 से अधिक कारखाने हैं, जिनमें ताँबे के तार, बिजली एवं इंजीनियरी के सामान, कपड़े, कागज, सीमेंट, मोटर, काच, रसायनक तथा अन्य विविध वस्तुएँ तैयार की जाती हैं। यहाँ 3500 मील लंबे रेलमार्ग तथा 36000 मील लंबे राजमार्ग है। 1950 ई० में कैंपटन पार्क नामक स्थान पर विशाल राष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण किया गया। इसके अतिरिक्त यहाँ अन्य कई छोटे हवाई अड्डे हैं। प्रिटोरिआ नगर न केवल राज्य का प्रत्युत समूचे दक्षिण अफ्रीकी संघ का प्रशासनिक केंद्र है।[१]

इतिहास

19वीं शती के पूर्व ट्रैंसवाल में मुख्यत: बांतू जातियाँ बसी हुई थीं। कालांतर में जुलू लोगों ने आक्रमण किया और प्रदेश के एक बड़े भाग पर उनका अधिकार हो गया। 1829 में बेचुआनालैंड का राबर्ट मोफट नामक धर्मप्रचारक ट्रैसवापल पहुँचा और उसके पीछे अनेक अंग्रेज यात्रियों और व्यापारियों ने वहाँ की यात्राएं आरंभ की। 1835-1840 के बीच बोअरों के 'महान्‌ प्र्व्राजन' के पश्वात्‌ उनके और बातू जातियों के बीच भीषण संघर्ष के बावजूद डच लोग वहाँ अपनी बस्तियाँ बसाने में सफल हो गए। साथ ही बोअरों ने अपने को स्वतत्र घोषित कर दिया।

  • 1852 में अंग्रेजों ने टैंसवाल की स्वतंत्रता को मान्यता दी। दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति मार्टिनस प्रिटोरियस के प्रस्ताव और बाद में बलप्रयोग के बावजूद आरेंज फ्री स्टेट ने ट्रैसवाल के साथ संघ बनाने से इनकार कर दिया।

अंग्रेज़ों से संघर्ष

1877 में सर थियोफिलस शेप्सटन ने, जो दक्षिण अफ्रीकी मामलों का सचिव था, ट्रैसवाल पर भी अधिकार कर लिया। किंतु 1880 में बोअरों ने पुन: अपने गणराज्य का स्वर ऊँचा किया, इसके लिये उन्हें अंग्रेजों से युद्ध करना पड़ा, और 1881 में अंग्रेजी संप्रभुता के अंतर्गत स्वतंत्र हो गया। उसके बाद ट्रेसवाल ने स्वाजालैंड, जुलूलैंड और तटीय प्रदेशों की ओर अपना प्रसार आरंभ किया, इसके लिये उन्हें अंग्रेजों और मूल निवासियों से संघर्ष करना पड़ा। ट्रैंसवाल में सोने क पता लगते ही विदेशी अधिक संख्या में आकर्षित होने लगे। इस स्थिति में बोअरों द्वारा अपना प्रभाव स्थिर रखने के लिये उठाए गए कदमों ने बोअर युद्ध (1899-1902) की भूमिका तैयार की।

दक्षिण अफ्रीका संघ की स्थापना

युद्ध के चार वर्षों के बाद अंग्रेजी सरकार ने ट्रैंसवाल के लिये स्वायत्त शासन की व्यवस्था कर दी। 1910 में ट्रैंसवाल केप कालोनी, आरेंज फ्री स्टेट और नेटाल ने मिलकर दक्षिण अफ्रीका संघ की स्थापना की।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. काशीनाथ सिंह एम.ए., पी.एच.डी., लैक्चरर. भूगोल विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी