तांडव

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तांडव नृत्य के मुख्य दो भेदों में प्रथम तथा शिव का प्रसिद्ध नृत्य जिसका संबंध भैरव और वीरभद्र से है। शिव का यह नृत्य श्मशान में देवी तथा भूतों पिशाचों के साथ उद्धत रीति से होता है। आठ तथा दस भुजाओं से युक्त शिव की उक्त नृत्यमुद्राएँ एलिफैंटा, एलोरा, भुवनेश्वर आदि की कलाओं में व्यंजित हुई हैं।

परवर्ती शैव और शाक्त ग्रंथों में इस नृतय का वर्णन बड़े ही मर्मस्पर्शी ढंग से किया गया है। डॉ० आनंद कुमारस्वामी का मत है कि इसकी उत्पत्ति किसी ऐसे अनार्य देवता से हुई है जो आंशिक रूप से देवता और दैत्य दोनों था और काली रात की नीरवता में उद्धत भाव से घूमा करता था। कालांतर में यह नृत्य ईश्वर के सृष्टि विषयक क्रियाकलापों के अर्थों में वर्णित हुआ है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ