तातर गणराज्य

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लेख सूचना
तातर गणराज्य
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 5
पृष्ठ संख्या 330-331
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक फूलदेवसहाय वर्मा
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1965 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी

सोवियत फेडरेटेड सो शलिस्ट गणतंत्र में वॉल्गा नदी के मध्यवर्ती क्षेत्र में स्थित स्वायत्त राज्य है। वॉल्गा नदी की वामवर्ती सहायक कामा नदी इसी क्षेत्र में मिलती है। तातर जनतंत्र की स्थापना १९२० ई० में हुई थी। इसका क्षेत्रफल २५,९०७ वर्ग मील थी। तातरी लोग संपूर्ण जनसंख्या के आधे हैं। शेष रूसी, चूवास्‌ मॉर्डविनियन तथा मारी आदि लोग हैं।

वॉल्गा नदी के दाहिने किनारे का भाग ऊँचा तथा मुख्यतया काली मिट्टी का क्षेत्र है। कामा नदी के दाहिने किनारे का भाग नीचा तथा दलदली है। यह भाग वनों से ढका हुआ है। बाएँ किनारे का भाग घास का मैदान है। उत्तरी-पश्चिमी भाग दक्षिणी-पूर्वी भाग की अपेक्षा अधिक नम है। उत्तरी-पश्चिमी भाग में चारा, आलू, चुकंदर और सन की खेती होती है। पशुपालन एवं फल तथा सब्जी उगाना यहाँ के अन्य व्यवसाय हैं। दक्षिणी पूर्वी भाग की मुख्य उपज गेहूँ है। मांस तथा ऊन के लिये पशु और भेड़ें पाली जाती है।

क्रांति के पूर्व यह पिछड़ा हुआ क्षेत्र था, तथा यहाँ के निवासियों का मुख्य धंधा खेती था, किंतु अब उद्योग धंधे पर्याप्त रूप से विकसित हो चुके है। दक्षिणी-पूर्वी क्षेत्र में खनिज तैल की विकसित खानें हैं। बुगुल्मा तथा अल्मेतवस्क तैल के मुख्य केंद्र हैं। यहाँ के प्रमुख उद्योग, रसायनक, चमड़े के सामान, कैमरे की फिल्में, टंकण-यंत्र, कृत्रिम रबर तथा हल्की मशीनें आदि बनाना मुख्य हैं। इनके अतिरिक्त यहाँ नदियों में काम आनेवाले जहाज भी बनते हैं। निकटवर्ती क्षेत्रों में पेदा हुई लकड़ी तथा दूध से विविध प्रकार की वस्तुएँ बनाई जाती हैं।

कज़ैन (Kazan) यहाँ का मुख्य नगर तथा उद्योग धंधों का मुख्य केंद्र है। यह नगर अपने प्राचीन गौरव, उच्च शिक्षा तथा तातर संस्कृति के लिये प्रसिद्ध है। यहाँ कज़ैन विश्वविद्यालय है। यह प्राचीन ऐतिहासिक नगर, वॉल्गा नदी की बाढ़ से सुरक्षित रहने के लिये प्रारंभ में एक ऊँचे टीले पर बसा था, किंतु अब इसका विस्तार अधिक बढ़ गया है। यातायात के लिये यह नगर अन्यान्य बहुत से नगरों से जुड़ा हुआ है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ