नहर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
लेख सूचना
नहर
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 6
पृष्ठ संख्या 266
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक राम प्रसाद त्रिपाठी
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1966 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक नर्मदेश्वरप्रसाद

नहर मानवकृत जलमार्ग को कहते हैं। इसमें जल नियंत्रित रूप से प्रवाहित होता रहता है।

नहरों की उपयोगिता

नहरें सिंचाई एवं यातायात की सुविधा के लिए बनाई जाती है। इनकी सहायता से अल्पवृष्टिवाले मरुप्रदेशों में भी हरियाली फैल जाती है। यातायात में ये बड़ी सहायक होती हैं। इनके द्वारा स्थलप्रदेश के भीतरी भागों में भी जलपोत सुगमता से प्रवेश पा लेते हैं। कुछ नहरें, जो दो सागरों के बीच जलसंयोजक के रूप में बनाई गई हैं, पोतों को विशल महाद्वीपों की परिक्रमा से बचा लेती हैं। फलस्वरूप कई सहस्र किलोमीटर की दूरी कम हो जाती है। कुछ नहरें नगरों को पेय जल प्रदान करने के लिए और कुछ नगर की गंदी नालियों की निकासी के लिए बनाई जाती हैं। कुछ नहरें शक्ति उत्पादक कारखानों में जल पहुँचाने के लिए भी बनाई जाती हैं। कुछ बहुमुखी नहरें हैं जो कई उद्देश्यों से बनाई गई हैं।

प्रारंभिक नहरें

प्रारंभिक नहरें सिंचाई एवं जलनिकास के लिए बनी होंगी। 3,500 ई. पूर्व के लगभग मिस्त्र और वैविलान में ऐसी नहरें बनाई गई थीं। उसके बाद नहरें मुख्यत: यातायात की सुविधा के लिए बनाई गईं। लगभग 600 ई.पू. में नील नदी और रेड सी को मिलाती हुई एक नहर का निर्माण किया गया। इसका आरंभ मिस्र के राजा फ़ारानेशों ने किया था। 767 ई. में खलीफ़ा अलमंसूर ने इसे विनष्ट कर दिया। मैसिडोनिया के सिकंदर महान्‌ और उनके उत्तराधिकारियों ने मिस्त्र में अनेक नहरें बनवाईं। रोमवासी नहर निर्माण में विख्यात थे। फ्रांस एवं ब्रिटेन में उन्होंने कई नहरें बनाई। आठवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में चार्ल मैगने ने डैन्यूब और राइन नदियों को मिलानेवाली एक नहर का निर्माण कराया। पहले नहरें एक ही सतह पर बनाई जाती थीं। बाद में बाँध की सहायता से नहरों को निर्माण अनेक सतहों पर होने लगा। किंतु नौकाओं को निचली सतह से ऊपरी सतह पर ले जाने में कठिनाई पड़ती थी। अत: उन्हें तिर्यक्‌ धरातल पर घसीटकर खींचना पड़ता था। बाद में लॉक प्रणाली (Lock System) के निर्माण से यह कठिनाई दूर हो गई। चीनवासियों ने भी बहुत पहले नहरें बनाई और सुगम जलमार्ग स्थापित किया। ग्रैंड नहर चीन की प्रमुख नहर हैं, जो पीकिंग से प्रारंभ हाकर यैङत्सी नदी के दक्षिण तक बहती है। इसकी अनेक शाखाएँ हैं। इसका निर्माणकार्य 13वीं शताब्दी में पूर्ण हुआ था। यूनान की कोरिंथ नहर का निर्माण नीरो (Nero) ने 67 ई. में प्रारंभ किया था। लगभग किमी. लंबी यह नहर कोरिंथ की खाड़ी को सरोनिक की खाड़ी से मिलाने के उद्देश्य के बनाई जा रही थी, किंतु उस समय इसका निर्माण अधूरा ही छोड़ना पड़ा। सन्‌ 1881 में यह कार्य फिर आरंभ हुआ और सन्‌ 1893 में यह तैयार हा गई। इसकी गहराई आठ मी. है। धारा तीव्र होने के कारण यह नहर उतनी लाभदायक सिद्ध नहीं हुई जितना प्रारंभ में अनुमान लगाया गया था।

स्वेज़ (Suez) डमरूमध्य को काटती हुई नहर बनाने के महत्व को प्राचीन काल में अनेक व्यक्तियों ने अवश्य सोचा होगा, किंतु इस महान्‌ निर्माणकार्य का श्रेय फ्रांस के फर्दिनांद-द-लेसेप्स को मिला। यह नहर भूमध्यसागर को लाल सागर से मिलाती है और जलपोतों को अफ्रीका महाद्वीप की परिक्रमा करने से बचा लेती है। इस जलमार्ग के निर्माण से दक्षिणी यूरोप से भारत पहुँचने में समुद्री मार्ग की दूरी लगभग एक तिहाई हो गई है। 1869 ई. में इस नहर का उद्घाटन हुआ। तब से पनामा नहर के पूर्ण होने तक यह संसार की सर्वप्रमुख नहर बनी रही। इस नहर में समुद्री पोत सुगमता से आ जा सकते हैं। इसकी लंबाई लगभग 168 किमी., गहराई 12मी. और तल की चौड़ाई 33मी. है। इसे बनाने का अनुमानित खर्च 14 करोड़ 70 लाख डालर था। कांस्टैटिनोपुल सम्मेलनानुसार, जिसमें नौ राष्ट्रों ने भाग लिया था, इस नहर का प्रयोग प्रत्येक राष्ट्र कर सकता है। 1956 ई. में मिस्र सरकार ने इस नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया।

यूरोपीय राष्ट्रों की नहरें

यूरोपीय राष्ट्रों ने जलमार्ग-निर्माण-कार्य 12वीं शताब्दी में आरंभ किया था। डच इस कार्य में अग्रगामी थे। हालैंड और बेल्जियम की निम्न भूमि जलमार्ग-निर्माण के लिए उपयुक्त थी। यही कारण है कि इन देशों में जलमार्गों की बहुलता और देशों की अपेक्षा अधिक है। उत्तर-पूर्वी फ्रांस, डेनमार्क और उत्तरी जर्मनी के यातायात में नहरों का प्रमुख हाथ है। हालैंड की ऐम्सटरडैम नहर (26 किमी. लंबी, 12 मी. गहरी) और बेल्जियम की रूपेल नहर (32 किमी. लंबी, 61/2मी. गहरी) तथा ब्रूज नहर (10 किमी. लंबी, मी. गहरी) उस निम्न भूभाग की मुख्य नहरें हैं। जर्मनी की सर्वप्रमुख नहर कील (Kiel) नहर है। यह उत्तरी सागर तट पर एल्ब नदी के मुहाने से आरंभ होकर बाल्टिक सागर के तट पर स्थित कील नगर तक जाती है। इसका निर्माण 1887 ई. में आरंभ हुआ और 1895 ई. में पूर्ण हुआ। 1914 ई. में प्रथम विश्वयुद्ध से पहले इस नहर की चौड़ाई एवं गहराई बढ़ाई गई थी। कील नहर लगभग 98 किमी. लंबी, 14 मी. गहरी तथा तल पर 44मी. चौड़ी है। इसके लॉक 45 मी. चौड़े हैं तथा उनकी औसत लंबाई 333 मी. है। द्वितीय विश्वयुद्ध में मित्रराष्ट्रों के बम से इस नहर को क्षति पहुँची थी। इंग्लैंड की मुख्य नहर मैनचेस्टर नहर है जिसमें समुद्री पोत सुगमता से प्रवेश करते हैं। यह नहर आइरिश सागर तट पर स्थित मर्सी नदी के मुहाने से मैनचेस्टर नगर तक बनाई गई है। इसकी लंबाई 56 किमी. तथा न्यूनतम गहराई आठ मी. है। इसमें पाँच लॉक बने हैं।

सोवियत रूस की नहरें

सोवियत रूस में हजारों किमी. लंबी नहरें बनाई गई हैं, जिनमें श्वेतसागर-बाल्टिक नहर, मास्को नहर तथा वॉल्गा-डोन नहर मुख्य हैं। इस देश में नहरें बनाकर ह्वाइट, बाल्टिक, कैस्पियन, अजोव तथा काला सागर को एक जलमार्ग प्रणाली द्वारा संबद्ध किया गया है। मास्को नहर 128 किमी. लंबी है। इसके निर्माण से मास्को और लेनिनग्राड के बीच जलमार्ग की दूरी कई सौ किमी. कम हो गई है। इससे मास्को नदी का जलस्तर भी लगभग 16 मी. ऊपर उठ गया है। मास्को और वॉल्गा नदियों के बीच स्थित ऊँचे क्षेत्र में पान पंप द्वारा नहर में चढ़ाया जाता है। बॉल्गा से लगभग 16 किमी. की दूरी पर पाँच लॉक बने हैं जिनमें प्रत्येक 300 मी. लंबा तथा 61मी. चौड़ा है। इन सीढ़ीनुमा बने लॉकों में बॉल्गा का पानी लगभग 40 मी. ऊपर उठाया जाता है और बाद में नीचे उतरता हुआ मास्को नदी में मिल जाता है। इस नहर से संबद्ध कई बड़े जलविद्युत्‌ केंद्र हैं, जो पर्याप्त जलविद्युत्‌ उत्पन्न करते हैं।

अमरीका की नहरें

अमरीकावासी भी नहरों का मूल्य भली भाँति जानते थे। रेल यातायात से पहले वहाँ भी नहरों का निर्माण हुआ था। इनकी कुल लंबाई लगभग 7,200 किमी. थी। उस समय जलमार्ग ही वहाँ के यातायात के मुख्य साधन थे। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में रेल यातायात से स्पर्धा के कारण जलमार्गों की महत्ता फीकी पड़ गई। केवल झील प्रदेश में इनका महत्व बना रहा। 20वीं शताब्दी के आरंभ में जलमार्ग में लोगों की रुचि पुन: जागृत हुई। इस महाद्वीप में जलमार्ग संबंधी महत्तम कार्य अपनाए गए, जैसे पनामा नहर, पुनर्निर्मित ईरी नहर तथा कैनाडा की नहरों का निर्माण। कैनाडा की नहरों की कुल लंबाई लगभग 2,880 किमी. है। इस देश की सर्वप्रमुख नहर वेलांड नहर है, जो लगभग 44 किमी. लंबी तथा 9 मी. गहरी है। यह नहर ईरी तथा अंटोरियों झीलों के बीच सुगम जलमार्ग प्रदान करती है। ईरी झील का जलस्तर अंटोरियो झील के जलस्तर की अपेक्षा 100 मी. ऊँचा है। तीव्रगामी नियाग्रा नदी, जिसमें विश्वविख्यात नियाग्रा जलप्रपात स्थित है, दोनों झीलों को मिलाती है। इन प्रपाती अवरोधों से जलपोतों को बचाने के लिए यह नहर बनाई गई। इसकी प्रांरभिक अवस्था का निर्माण सन्‌ 1824 में आरंभ हुआ। कई क्रमों में निर्माणकार्य होने के पश्चात्‌ यह नहर सन्‌ 1932 में तैयार हुई। इसे बनाने में लगभग 13 करोड़ 19 लाख डालर खर्च हुए। इसमें आठ बड़े लॉक हैं। इनके फाटक विद्युच्चालित हैं। इन लॉकों की चौड़ाई लगभग 75 मी. तथा न्यूनतम गहराई 9 मी. है। नवीन वेलांड नहर झीलां के विशाल जलमार्ग को सेंटलारेंस नदी से संबद्ध करती है। सेंटलारेंस नदी में मसेना तथा इरक्विश स्थान पर बाँध बनाकर इस नदी के प्रपाती भागों का सुगम बनाया गया है। इस योजना में कैनाडा तथा संयुक्त राज्य अमरीका दोनों राष्ट्रों ने सम्मिलित सहयोग दिया और सेंटलारेंस नदी से होता हुआ झील प्रदेश तक सुगम जलमार्ग समुद्री जलपोतों को प्रदान कर दोनों राष्ट्र लाभान्वित हुए। सेंट लारेंस नदी के बाँध से 21 लाख किलोवाट जलविद्युत्‌ उत्पन्न कर दोनों राष्ट्र बराबर हिस्सा बाँट लेते हैं।

संयुक्त राज्य की नहरें

संयुक्त राज्य की सर्वप्रमुख नहर ईरी है, जो झील प्रदेश और अटलांटिक महासागर के बीच जलमार्ग प्रदान करती है। यह नहर ईरी झील पर स्थित बफैलो नगर से लेकर हडसन नदी पर स्थित अल्बानी नगर तक बनी है। इस नहर की योजना 1791 ई. में बनी थी। प्रारंभिक अवस्था में कुछ ही भाग में खुदाई करने के बाद कई वर्षों तक का ठप पड़ गया। 1817 ई. में डेविड क्लिंटन ने इस नहर का निर्माण पुन: आरंभ कराया। 1825 ई. में यह कार्य पूरा हुआ और इस पर 70 लाख डालर से अधिक की लागत बैठी। आर्थिक दृष्टि से यह योजना सफल हुई। रेल यातायात की अपेक्षा इस जलमार्ग द्वारा माल ढोने में बहुत कम खर्च पड़ता था। इस नहर के किनारे व्यवसायी क्षेत्र पनपने लगे। न्यूयार्क राज्य का सर्वाधिक विकास हुआ। मुख्य नहर की सफलता ने शाखा नहरों के निर्माण को प्रोत्साहित किया। विभिन्न नदियों का मिलाने के लिए इसकी कई शाखाएँ बनाई गई। 1905 ई. में इस नहर की वृद्धि के लिए पुन: निर्माण कार्य आरंभ हुआ और सन्‌ 1918 में न्यूयार्क स्टेट बार्ज नहर तैयार हो गई। न्यूयार्क से झील प्रदेश तक यातायात सुगम हो गय। इस विकसित नहर श्रृंखला की कुछ लंबाई लगभग 840 किमी. है जिसका 58 प्रतिशत भाग प्राकृतिक नदियाँ एवं झीलों में स्थित है। इसके तल की चौड़ाई लगभग 35 मी. है। इसमें 59 लॉक हैं, जिनमें प्रत्येक 100 मी. लंबा, 14 मी. चौड़ा तथा 4 मी. गहरा है। लॉकों पर नहर का तलांतर 2 1/2मी. से मी. है। लॉकों के फाटक विद्युच्चालित हैं।

पनामा नहर

'पनामा नहर' का निर्माण मनुष्य की महान्‌ सफलताओं में से एक है। यह नहर प्रशांत तथा ऐटलैंटिक महासागरों का जोड़ती है और उन दोनों के बीच सुलभ जलमार्ग प्रदान करती है। पनामा डमरूमध्य का काटकर बनाई जाने वाली नहर के महत्व को विभिन्न राष्ट्र कई शताब्दियों से जानते थे। किंतु इसका निर्माण अत्यंत कठिन कार्य था। इस डमरूमध्य की न्यूनतम चौड़ाई 48 किमी. है। नहरनिर्माण के पूर्व व्यापारी खच्चरों पर अपना माल लादकर इस पतले भूभाग को पार करते थे। सबसे पहले स्पेन के नाविकों ने इस पतले भाग का पता लगाया था। 1520 ई. में स्पेन के राजा चार्ल्स पंचम ने यहाँ नहर बनाने की सर्वप्रथम योजना प्रस्तावित की। तत्पश्चात्‌ अनेक योजनाएँ बनती रहीं। रेलमार्ग बनने पर भी यातायात की समस्या हल नहीं हुई। 1878 ई. में फ्रांसीसियों ने कोलंबिया सरकार से नहरनिर्माण की अनुमति ली। निर्माणकार्य 1881 ई. में फर्दिनंद-द-लेसेप्स की देखरेख में आरंभ हुआ। सबसे बड़ी समस्या थी उस प्रदेश की भयानक बीमारियाँ, जैसे मलेरिया, पीतज्वर, प्लेग, इत्यादि। यूरोप तथा अमरीकावासी तुरंत इन बीमारियों के शिकार होने लगे और हजारों की संख्या में मजदूर मरने लगे। उस समय तक इस बात का पता नहीं था कि मलेरिया तथा पीत ज्वर के कीटाणु मच्छरों द्वारा ही फैलते हैं। 1889 ई. में फ्रांसीसी कंपनी का दिवाला निकल गया। 1903 ई. में संयुक्त राज्य सरकार ने फ्रांसीसी कंपनी को चार करोड़ डालर भुगतान के रूप में दिया, किंतु कोलंबिया सरकार की अनुमति प्राप्त नहीं कर सके। उसी वर्ष पनामा राज्य ने अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी। संयुक्त राज्य ने इस नए राज्य को तुरंत मान्यता प्रदान की। दोनों राज्यों के बीच संधि हुई जिसके अनुसार संयुक्त राज्य को 16 किमी. चौड़ी पेटी पर (वर्तमान नहर पेटी) अधिकार एवं निंयत्रण रखने का अधिकार प्राप्त हुआ। संयुक्त राज्य ने भूमि के मूल्य के रूप में एक करोड़ डालर दिया और प्रत्येक वर्ष ढाई लाख डालर कर के रूप में देना मंजूर किया। उस समय तक बीमारियों के कारण का पता चल चुका था। 1904 ई. से उचित कार्रवाई प्रारंभ हुई और 1906 ई. तक मच्छर, मक्खी तथा चूहे नष्ट कर दिए गए। नहरनिर्माण का कार्य संयुक्त राज्य सरकार ने अपने हाथों में लिया। कर्नल बोथल की अध्यक्षता में सेना की देखरेख में नहरनिर्माण प्रारंभ हो गया। लॉकयुक्त नहर योजना बनी जिसमें जहाज लगभग 26 मी. ऊपर उठाए जा सकें। विशाल मशीनें खुदाई कार्य में लगाई गईं। 1913 ई. में राष्ट्रपति विल्सन ने अपने राष्ट्रपति भवन से ही बिजली का बटन दबाकर नहर का उद्घाटन किया। संयुक्त राज्य का आधिपत्य नहरक्षेत्र पर बना रहा, किंतु उसने और राष्ट्रों को भी नहर का व्यवहार करने की अनुमति दे दी। ऐटलैंटिक महासागर से आनेवाले पोत लीमन की खाड़ी को पारकर किमी. लंबे तथा 156 मी. चौड़े जलमार्ग से होते हुए गटुन बाँध तक पहुँचते हैं। इस बाँध के ऊपर बने जलाशय का जलस्तर समुद्र की सतह से लगभग 26 मी. ऊँचा है। जलाशय 38 किमी. लंबा है। इस बाँध पर स्थित तीन लॉक विश्व के विशालतम लॉक हैं। प्रत्येक लॉक लगभग 310 मी. लंबा, 31 मी. चौड़ा तथा 13 मी. गहरा है। प्रत्येक लॉक में जलपोत लगभग 9 मी. ऊपर चढ़ जाता है। दो जलपोत एक साथ इन लॉकों का व्यवहार कर सकते हैं। जलाशय के दूसरे छोर पर नहर 'गैलर्ड कट' में प्रवेश करती है। यह 13 किमी. लंबा, 93 मी. चौड़ा तथा मी. गहरा है। इस कट के दूसरे छार पर द्विलॉक प्रणाली द्वारा जलपोत 9 मी. नीचे मीरा फ्लोस नामक झील में उतरते हैं। इस झील से निकल कर अंतिम लॉक से उतरने पर जहाज प्रशंत महासागर के जलस्तर पर पहुँच जाते हैं। पूरी पनामा नहर को पार करने में जहाज को औसतन 8 घंटे तक का समय लगता है। इस नहर को बनाने में कुल करोड़ डालर खर्च हुआ था।

टीका टिप्पणी और संदर्भ