निकोलस कोपर्निकस

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लेख सूचना
निकोलस कोपर्निकस
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 159
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक निरंकार सिहं

निकोलस कोपर्निकस की प्रारंभिक शिक्षा टौरन में हुई थी। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंन क्राकाओ विश्वविद्यालय से गणित की शिक्षा प्राप्त की। इसी विश्वविद्यालय में प्रसिद्ध ज्योतिषशास्त्री अल्वर्ट ब्रूद्जेबस्की से उन्होंने ज्योतिष की विशेष शिक्षा प्राप्त की। व्यक्तिगत रूप से कोपर्निकस ने वोलोना विश्वविद्यालय के ज्योतिषी मैरिया डी नोवेरा से ज्योतिष के बारे में काफी जानकारी प्राप्त की थी।

प्राचीन दार्शनिकों और खगोलज्ञों का अनुमान था कि पृथ्वी अचल और स्थिर रहती है तथा सूर्य चंद्र मंगल शनि आदि उसकी परिक्रमा करते है। इसका सर्वप्रथम सैद्धांतिक खंडन कोपर्निकस ने किया और इसकी जगह सूर्य केंद्रिक सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इस सिद्धांत के अनुसार सूर्य स्थिर तारों की भाँति अचल है और अन्य ग्रह और उपग्रह उसकी परिक्रमा करते हैं।[१]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विशेष द्रष्टव्य सूर्य केंद्रिक सिद्धांत।