निकोलाई वासिलयेविच चायकोवस्की
निकोलाई वासिलयेविच चायकोवस्की
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 191 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | रामप्रसाद त्रिपाठी |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | लियो स्तेफान औम्यान |
चायकोवस्की, निकोलाइ वासिलयेविच (1850-1926) रूस के एक क्रांतिकारी नागरिक; के बाद में ये प्रतिक्रियावादी के रूप में बदल गए। सन् 1869 में क्रांतिकारी विद्यार्थी चक्र में शामिल हुए। यह संगठन 'चायकफवादी' के नाम से ख्यात था। 1874 में अमरीका में प्रवासी के रूप में रहे। सन् 1879 मे यूरोप लौट आए तथा लंदन में निवास करने लगे। सन् 1900 के आरंभ में छोटे पूँजीपतियों द्वारा निर्मित दल 'एसेर' (समाजवादी क्रांतिकारी दल) में सम्मिलित हुए। सन् 1905 में रूस लौट आए। सन् 1905-7 की रूसी क्रांति के पश्चात् 'एसेर' दल से संबंधविच्छेद कर लिया। सन् 1917 की अक्टूबर समाजवादी क्रांति के पश्चात् सोवियत सरकार के विरुद्ध सक्रिय आंदोलन करने लगे। अगस्त, 1918 में 'अर्रवानगेल्स्क' नामक नगर में 'उत्तरी भूभाग की सरकार' के रूप में एक प्रतिक्रांति सरकार की स्थापना कर उन्होंने अपने को उसका 'प्रधान' घोषित कर दिया। सन् 1919 में देशनिकाला हो जाने पर पेरिस में प्रवासी होकर रहने लगे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ