नीलगिरि
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नीलगिरि
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 395 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
लेखक | कृष्णमोहन गुप्त |
संपादक | फूलदेवसहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1966 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
नीलगिरि
- जिला, भारत के मद्रास राज्य के पश्चिम भाग में है। इसका क्षेत्रफल 984 वर्ग मील तथा जनसंख्या 4,09,308 (1961) थी। इसका मुख्यालय ओत्तकमंदु है। इस जिले से पूर्व में मुख्यत: नीलगिरि के पर्वतीय क्षेत्र हैं। इसमें अनेक पहाड़ी नदियाँ हैं।
ये पहाड़ी नदियाँ मोयार तथा भवानी नदियों में गिरती हैं। यह जिला शीतोष्ण कंटिबंधीय तथा तरकारियों के उद्यानों एवं प्रायोगिक कृषि क्षेत्रों से सुशोभि है। मक्का, बाजरा[१], गेहूं तथा जौ की खेती होती है। यहाँ पर सिंकोना [२] वृक्ष के बागान हैं। सिंकोना से कुनैन निकालने का कारखाना नाडुबट्टम में है। यह जिला यूकालिप्टस, चाय तथा काफी के बागानों से परिपूर्ण है। पायकारा जलविद्युत केंद्र प्रणाली का हेडवर्क [३] यहीं पर है। प्रसिद्ध नगरों में ओत्तकमंदु, कूनूर तथा कोटागिरि हैं। यहाँ की जनसंख्या का 30% पहाड़ी जातियों का है, जिनमें कोटा [४] तथा टोडा [५]प्रमुख हैं। इसी नाम की देशी रियासत उड़ीसा में थी, जिसकी राजधानी का नाम राज नीलगिरि था।
- पहाड़ियाँ, नीलगिरि पहाड़ियों के नाम से विख्यात तीव्र ढाल वाला पठार है, जो पूर्वी और पश्चिमी घाट पहाड़ों के मिलन विंदु के समीप दक्षिण के पठार से संयुक्त हो जाता है। यह पठार नीलगिरि जिले का मुख्य भाग है। इसकी औसत ऊँचाई 6,500 फुट है। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी दोदा-बेटा (8,640 फुट) है। मोयार नदी का उद्गम मुकुर्चि शिखर पर है। यहाँ पर यूकालिप्टस, चाय तथा काफी के बागान अत्यधिक हैं। सागौन [६], कृष्णकाष्ठ[७] और बाँस के जंगल भी यहाँ हैं। यहाँ इमारती पत्थरों की भी खदानें हैं तथा लिगनाइट खनिज भी मिलता है। यहाँ की पहाड़ी नदियों से सोना मिलता है। पालघाट दर्रा इसे अन्नाईमलाई पहाड़ियों से पृथक करता है। इसके जंगलों में भालू, चीतल, मृग, हरिण तथा जंगली बकरे (Ibex) का शिकार किया जाता है।
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