ब्लादिमिर गलक्तिओन कोरोलेंको
ब्लादिमिर गलक्तिओन कोरोलेंको
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 171 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | प्रोफेसर प्यौत्र अकेलेक्सीविच बारान्निकोव |
ब्लादिमिर गलक्तिओन कोरोलेंको (1853-1921 ई.) रूसी कहानीकार और उपन्यासकार। इनका जन्म जितोमिर नगर में एक कर्मचारी परिवार में हुआ था। अपने विद्यार्थी जीवन में कोरोलेंको स्वदेश के किसानों की बुरी हालत की आलोचना किया करते थे जिसके कारण 1879 में इन्हें कालापानी मिला। सन् 1885 में छूटने पर निज़नी नोवगोरोद (आधुनिक गोर्की) नगर में पुलिस की निगरानी में रहने लगे। इनकी पहली कहानी 1879 ई. में प्रकाशित हुई थी। अनोखी कहानी (1880)में एक रूसी क्रांतिकारिणी लड़की के धैर्य और साहस की कथा है। अंधा वादक उपन्यास (1886) का मुख्य विचार यह है कि जब तक किसी मनुष्य का जीवन जनता के जीवन से अलग है तब तक उसे सुख नहीं मिल सकता। बिना जबान के उपन्यास में अमरीका में रहने के लिये आए हुए एक उक्रेनी किसान की दु:खमय कथा है। उनके विचारों में रूस के जनवादी साहित्य का गहरा प्रभाव है।
1900 में कोरोलेंको को सम्मानित अकदेमिक उपाधि दी गई। परंतु चेख़व के समान इन्होंने भी इस उपाधि को लेना अस्वीकार किया। इसका कारण था कि गोर्की को संमानित अकदेमिक उपाधि देने की स्वीकृति रूसी ज़ार ने नहीं दी थी।
कोरोलेंको की सबसे बड़ी कृति मेरे समकालीन की कथा (1906-22) उनकी आत्मकथा के समान है। इसमें उस काल के सामाजिक जीवन का विस्तारपूर्ण चित्रण मिलता है। कोरोलेंको ने दिखाया कि महान् अक्तूबर क्रांति की विजय इसी लिये हुई की अधिकांश जनता ने इसका समर्थन किया और इसमें सक्रिय भाग लिया।
कोरोलेंको की रचनाएँ उच्च कोटि की हैं। इनमें जनता के जीवन का वास्तविक चित्रण है। इसी लिये 1907 में लेनिन ने कोरोलेंको को प्रगतिशील लेखक कहा था। तालस्तॉय, चेखब और गोर्की कोरोलेंको को बहुत मानते थे। गोर्की के कथनानुसार कारोलेंको ने रूसी जनता के जीवन के उन पहुलओं का वर्णन किया जिनका इससे पहले कोई भी लेखक न कर सका। कोरोलेंकों का प्रभाव अनेक लेखकों पर पड़ा। उनकी रचनाओं को बड़ी लोकप्रियता मिली; वे अनेक भाषाओं में अनूदित हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ