महाभारत आश्वमेधिक पर्व अध्याय 49 श्लोक 14-17
एकोनपंचाशत्तम (49) अध्याय: आश्वमेधिक पर्व (अनुगीता पर्व)
महाभारत: आश्वमेधिक पर्व: एकोनपंचाशत्तम अध्याय: श्लोक 14-17 का हिन्दी अनुवाद
‘यही कल्याण मार्ग है, यही कल्याण मार्ग है’- इस प्रकार की बातें सुनकर मनुष्य समुदाय विचलित हो गया है। जो जिस धर्म में रत है, वह उसी का सदा आदर करता है।
इस कारण हम लोगों की बुद्धि विचलित हो गयी है और मन भी बहुत से संकल्प विकल्पों में पड़कर चंचल हो गया है। श्रेष्ठ ब्रह्मन! हम यह जाना चाहते हैं कि वास्तविक कल्याण का मार्ग क्या है?
इसलिये जो परम गुहय तत्त्व है, वह आपको हमें बतलाना चाहिये। साथ ही यह भी बतलाइये कि बुद्धि और क्षेत्रज्ञ का सम्बन्ध किस कारण से हुआ है?
लोकों की सृष्टि करने वाले धर्मात्मा बुद्धिमान भगवान ब्रह्माजी उन ऋषियों की यह बात सुनकर उन से उनके प्रश्नों का यथार्थ रूप से उत्तर देने लगे।
इस प्रकार श्रीमहाभार आश्वमेधिकपर्व के अन्तर्गत अनुगीता पर्व में गुरु शिष्य संवादविषयक उनचासवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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