महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 10 श्लोक 39-50
दशम (10) अध्याय: उद्योग पर्व (सेनोद्योग पर्व)
यह देखकर इन्द्र ने तुरंत ही वृत्रासुर पर वज्रसहित फेन प्रवेश करके वृत्रासुर को नष्ट कर दिया। वृत्रासुर मारे जाने पर सम्पूर्ण दिशाओं का अन्धकार दूर हो गया, शीतल-सुखद वायु चलने लगी और सम्पूर्ण प्रजा में हर्ष छा गया। तदन्तर देवता, गन्धर्व, यक्ष राक्षस, महानाग तथा ऋषि भाँति-भाँति के स्त्रोतों द्वारा महेन्द्र की स्तुति करने लगे। शत्रु को मारकर देवताओं सहित इन्द्र का हृदय हर्ष से मर गया । समस्त प्राणियों ने उन्हें नमस्कार किया और उन्होंने उन सबको सान्तवना दी। तत्पश्चात धर्मज्ञ देवराज तीनों लोकों के श्रेष्ठ आराध्य देव भगवान पूजन किया । इस प्रकार देवताओं को भय देने वाले महक्रमी वृत्रासुर के मारे जाने पर विश्वास धातरूपी असत्य से अभिभूत होकर इन्द्र मन ही मन बहुत दुखी हो गये त्रिशिरा के वध से उत्पन्न हुई ब्रंतया ने तो उन्हें पहले ही घेर रखा था। वे सम्पूर्ण लोकों की सीमा पर जाकर बेसुध और अचेत होकर रहने लगे । वहाँ अपने ही पापो से पीडि़त होकर जब देवराज इन्द्र अदृश्य हो गये, तब यह पृथ्वी नष्ट सी हो गयी । यहाँ के वृक्ष उजड गये, जंगल सूख गये, नदियो का स्त्रोत छिन्न भिन्न हो गया और सरोवरो का जल सूख गया। सब जीवों में अनावृष्टि के कारण क्षोम उत्पन्न हो गया । देवता तथा सम्पूर्ण महर्षि भी अत्यन्त भयभीत हो गये। सम्पूर्ण जगत में अराजकता के कारण भारी उपद्रव होने लगे । स्वर्ग में देवराज इन्द्र के न होने से देवता तथा देवर्षि भी भयभीत होकर सोचने लगे--अब हमारा राजा कौन होगा १ देवताओं में से कोई स्वर्ग का राजा बनने का विचार नहीं करता था ।
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