महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 19 श्लोक 21-33
एकोनविंश (19) अध्याय: उद्योग पर्व (सेनोद्योग पर्व)
राजन् कम्बोज नरेश सुदक्षिण भी यवनों और शको के साथ एक अक्षैहिणी सेना लिये दुर्योधन के पास आया । उसका सैन्य समूह टिड्डयांे के दल सा जान पडता था । वह सारा सैन्य समुदाय कौरव सेना में आकर विलीन हो गया । इसी प्रकार महिष्मती पुरी के निवासी राजा नील भी दक्षिण देश के रहने वाले श्यामवर्ण के शस्त्रधारी महापराक्रमी सैनिकों के साथ दुर्योधन के पक्ष में आये । अवन्ती देश के दोनो राजा विन्द और अनुविन्द भी पृथक - पृथक एक अक्षौहिणी सेना से धिरे हुए दुर्योधन के पास आये।केकय देश के पुरूष सिंह पांच नरेश, जो परस्पर सगे भाई थे, दुर्योधन हर्ष बढातें हुए एक अक्षौहिणी सेना के साथ आ पहुंची । भरत श्रेष्ठ ! तदन्तर इधर उधर से समस्त महामना नरेशों की तीन अक्षौहिणी सेनाएं और आ पहुंची । इस प्रकार दुर्योधन के पास सब मिलाकर ग्यारह अक्षौहिणी सेनाएं एकत्र हो गयी, जो भांति भांति की ध्वजा पताकाओं से सुशोभित थी और कुन्ती कुमारों से युद्ध करने का उत्साह रखती थी । राजन ! दुर्योधन के अपनी सेना के जो प्रधान - प्रधान राजा थे, उनके भी ठहरने के लिए हस्तिनापुर में स्थान नही रह गया था । इसलिये भारत ! पंचनद प्रदेश, सम्पूर्ण कुरूजागंल देश, रोहितकवन ( रोहतक ) , समस्त मरूभूमि, अहिच्छत्र, कालकूट, गंगाकूट, गंगातट, वारण वाटधान तथा यामुन पर्वत - प्रचुर धन धान्य से सम्पन्न सुविस्तृत प्रदेश कौरवों की सेना से भलि भांति घिर गया । पांचालराज दु्रपद ने अपने जिन पुरोहित ब्राह्मण को कौरवों के पास भेजा था, उन्होंने वहां पहुंचकर उस विशाल सेना के जमाव को देखा ।
इस प्रकार श्रीमहाभारत के उद्योगपर्व के अन्तर्गत सेनोद्योगपर्व में पुरोहित प्रस्थान विषयक उन्नीसावाँ अध्याय पूरा हुआ ।
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