महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 52 श्लोक 14-20

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द्विपञ्चाशत्तम (52) अध्‍याय: उद्योग पर्व (यानसंधि पर्व)

महाभारत: उद्योग पर्व: द्विपञ्चाशत्तम अध्याय: श्लोक 14-20 का हिन्दी अनुवाद

तात संजय! अपने तेज से जलता हुआ व्रज किसी के मस्त‍क पर पड़कर सम्भव हैं, उसके जीवन को बचा दे, परंतु किरीटधारी अर्जुन के चलाये हुए बाण जिसे लग जायंगे, उसे जीवित नहीं छोडे़ंगे । मुझे तो वीर धनंजय युद्ध में बाणों को चलाते, योद्धाओं के प्राण लेते और अपनी बाण वर्षा द्वारा उनके शरीरों से मस्तकों को काटते हूए से प्रतीत हो रहे हैं । क्या गाण्‍डीव धनुष से प्रकट हुआ बाणमय तेज सब ओर प्रज्वलित-सा होकर मेरे पुत्रों की (विशाल) वाहिनी को युद्ध में जलाकर भस्म कर डालेगा? मुझे स्पष्‍ट प्रतीत हो रहा है कि श्रीकृष्‍ण के रथ-संचालन की आवाज सुनकर भरतवंशियों की यह सेना सव्यसाची अर्जुन के भय से पीड़ित और नाना प्रकार से आतिड्कित हो जायगी । जैसे वायु के वेग से बढी़ हूई आग सब और फैलकर प्रचण्‍ड लपटों से युक्त हो घास-फूस अथवा जंगल का जला-कर भस्म कर देती है, उसी प्रकार अर्जुन मेरे पुत्रों को दग्ध कर डालेंगे । जिस समय शस्त्रपाणि किरीटधारी अर्जुन समरभूमि में रोषपूर्वक पैनें बाणसमूहों की वर्षा करेंगे, उस समय विधाता-के रचे हुए सर्वसंहारक काल के समान उनसे पार पाना असम्भव हो जायगा । उस समय मैं महलों में बैठा हुआ बार-बार कौरवों की विविध अवस्थाओं की कथा सुनता रहूंगा। अहो! युद्ध के मुहाने पर निश्र्चय ही सब ओर से यह भरतवंश का विनाश आ पहुंचा है ।

इस प्रकार श्रीमहाभारत उद्योगपर्व के अन्तर्गत यान‍संधिपर्व में धृतराष्‍ट्रवाक्यविषयक बावनवां अध्‍याय पूरा हुआ ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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