महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 54 श्लोक 15-22

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

चतु:पञ्चाशत्तम (54) अध्याय: उद्योग पर्व (यानसंधि पर्व)

महाभारत: उद्योग पर्व: चतु:पञ्चाशत्तम अध्याय: श्लोक 15-22 का हिन्दी अनुवाद

आपकी सेना के अधिं‍काश वीर भीमसेन के हाथों मारे जायेंगे और दुर्योधन आदि कौरव विपत्ति के समुद्र में डुबती हुई इस सेना को देखते-देखते स्‍वयं भी नष्‍ट हो जायंगे। प्रभो! महाराज! आपके पुत्र तथा इनका साथ देने वाले नरेश भीमसेन और अर्जुन भयभीत होकर कभी विजय नहीं पा सकेगे। मत्‍स्‍यदेश के क्षत्रिय अब आपका आदर नहीं करते हैं। पाञ्चाल, केकय, शाल्‍य तथा शूरसेन देशों के सभी राजा एवं राजकुमार आपकी अवहेलना करते हैं। वे सब परम बुद्धिमान् अर्जुन के पराक्रम को जानते हैं, अत: उन्‍हीं के पक्ष में मिल गये हैं। युधिष्ठिर के प्रति भक्ति रखने के कारण वे सब सदा ही आपके पुत्रों के साथ विरोध रखते हैं। महाराज ! जो सदा धर्म में तत्‍पर रहने के कारण वध (और क्‍लेश पाने) के कदापि योग्‍य नहीं थे, उन पाण्‍डुपुत्रों को जिसने सदा विपरीत बर्ताव से कष्‍ट पहुंचाया है और जो इस समय भी उनके प्रति द्वेषभाव ही रखता हे, आपके उस पापी पुत्र दुर्योधन को ही सभी उपायों से साथियों सहित काबू में रखना चाहिये। आप बांरबार इस तरह शोक न करें। द्यूतक्रीड़ा के समय मैंने तथा परम बुद्धिमान् विदुरजी ने भी आपको यही सलाह दी थी, (परंतु आपने ध्‍यान नहीं दिया)। राजेन्‍द्र! आपने जो पाण्‍डवों के बल-पराक्रमी की चर्चा करके असमर्थ की भांति विलाप किया है, यह सब व्‍यर्थ है।

इस प्रकार श्रीमहाभारत उद्योगपर्व के अंतर्गत यानसंधिपर्व में संजय वाक्‍य विषयक चौवनवां अध्‍याय पूरा हुआ।


« पीछे आगे »

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

साँचा:सम्पूर्ण महाभारत अभी निर्माणाधीन है।