महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 56 श्लोक 14-17
षट्पञ्चाशत्तम (56) अध्याय: उद्योग पर्व (यानसंधि पर्व)
अर्जुन ने प्रसन्न होकर अपने छोटे भाई सहदेव को जो अश्र्व प्रदान किये थे, जिनके सम्पूर्ण अङग विचित्र रंग के हैं और पृष्ठभाग भी तीतर पक्षी के समान चितकबरे प्रतीत होते हैं तथा जो वीर भाई अर्जुन के अपने अश्र्वों की अपेक्षा भी उत्कृष्ट हैं, ऐसे सुन्दर अश्र्व बड़ी प्रसन्नता के साथ सहदेव के रथ का भार वहन करते हैं। अजमीढकुलनन्दन! देवराज इन्द्र के दिये हुए हरे रंग के उत्तम घोडे़, जो वायु के समान बलवान् तथा वेगवान् हैं, माद्रीकुमार वीर नकुल के रथ का भार वहन करते हैं। ठीक उसी तरह, जैसे पहले वे वृत्रशत्रु देवेन्द्र का भार वहन किया करते थे। अवस्था और बल-पराक्रम में पूर्वोक्त अश्र्वों के ही समान महान् वेगशाली, विचित्र रूप-रंग वाले उत्तम जाति के अश्र्व सुभद्रानन्दन अभिमन्युसहित द्रौपदी के पुत्रों का भार वहन करते हैं। वे विशाल अश्र्व भी देवताओं के दिये हुए हैं।
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