महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 110 श्लोक 45-48

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दशाधिकशततम (110) अध्याय: भीष्म पर्व (भीष्मीवध पर्व)

महाभारत: भीष्म पर्व: दशाधिकशततम अध्याय: श्लोक 45-48 का हिन्दी अनुवाद

इस प्रकार महामना पाण्डुनन्दन अर्जुन के द्वारा पीडि़त होकर आपका पुत्र दुःशासन युद्ध में अर्जुन को छोड़कर तुरंत ही भीष्म के रथ पर जा बैठा। उस समय अगाध समुंद्र में डूबते हुए दुःशासन के लिये भीष्म जी द्वीप हो गये।
प्रजानाथ ! तदनन्तर होष-हवाश ठीक होने पर आपके पराक्रमी एवं शूरवीर पुत्र दुःशासन ने पुनः अत्यन्त तीखे बाणों द्वारा कुंतीकुमार अर्जुन को रोका, मानो इन्द्र वृत्रासुर की गति को अवरूद्ध कर दिया हो। महाकाय दुःशासन ने अर्जुन को अपने बाणों से क्षत-विक्षत कर दिया, परन्तु वे तनिक भी व्यथित नहीं हुए।

इस प्रकार श्रीमहाभारत भीष्मपर्व के अन्तर्गत भीष्मवधपर्व में अर्जुन और दुःशासन का युद्ध विषयक एक सौ दसवाँ अध्याय पूरा हुआ।।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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