महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 79 श्लोक 59-64
एकोनाशीतितम (79) अध्याय: भीष्म पर्व (भीष्मवध पर्व)
फिर तो एक दूसरे पर प्रहार करते हुए उन सभी महा-रथियों में अत्यन्त भयंकर तुमुल युद्ध होने लगा। रथों से रथ और हाथियों से हाथी भिड़ गये। राजन! एक दूसरे पर प्रहार करने वाले उन महारथियों का वह युद्ध यमलोक की वृद्धि करने वाला था। सूर्यास्त के दो घड़ी बाद तक उन सब लोगों ने बड़ा भयंकर युद्ध किया। उसमें सहस्त्रों रथी और घुड़सवार प्राणशून्य होकर बिखर गये। तब शान्तनुनन्दन भीष्म ने कुपित होकर झुकी हुई गाँठवाले बाणों द्वारा उन महामना वीरों की सेना का विनाश कर डाला, पान्चालों की सेना की कितनी ही टुकडि़यों को अपने बाणों द्वारा यमलोक पहुँचा दिया। नरेश्वर! महाधनुर्धरभीष्म इस प्रकार पाण्डव सेना का संहार करके अपनी समस्त सेनाओं को युद्ध से लौटाकर अपने शिविर को चले गये। इसी प्रकार धृष्टद्युम्न और भीमसेन- इन दोनों वीरों ने झुकी हुई गाँठवाले बाणों द्वारा कौरव सेनाओं का विनाश कर डाला। धर्मराज युधिष्ठिर ने धृष्टद्युम्न और भीमसेन दोनों से मिलकर उनका मस्तक सूँघा और बड़े हर्ष के साथ अपने शिविर को प्रस्थान किया। अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण भी कौरव सेना को बाणों द्वारा मारकर तथा रणभूमि से भगाकर शिविर को ही चल दिये।
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