महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 90 श्लोक 80-93
नवतितम (90) अध्याय: भीष्म पर्व (भीष्मवध पर्व)
राजन् ! आपके और पाण्डवों के सैनिकों के उस संकुल युद्ध में दोनों पक्षों के मिले हुए हाथी, घोडे़ और पैदल दन्तार हाथियों द्वारा मारे गये । रथ, घोडे़ और हाथियों को पैदल योद्धाओं ने मार गिराया तथा बहुत से पैदल, रथियों के समूह और घुड़सवार रथी योद्धाओं के द्वारा मार डाले गये। अर्जुन को अपने औरस पुत्र इरावान के मारे जाने का पता नहीं लगा था। वे समरांगण में भीष्म की रक्षा करने वाले शूरवीर नरेशों का संहार कर रहे थे। राजन् ! इसी प्रकार आपके पुत्र और सैनिक तथा सहस्त्रों सृंजय वीर समराग्नि में प्राणों की आहुति देते हुए एक दूसरे को मार रहे थे। कवच, रथ और धनुष के नष्ट हो जाने पर बाल बिखेरे हुए बहुतेरे योद्धा परस्पर भिड़कर भुजाओं द्वारा मल्लयुद्ध करने लगे। दूसरी ओर शत्रुओं को संताप देने वाले भीष्म समरांगण में अपने मर्मभेदी बाणों द्वारा पाण्डव सेना को कम्पित करते हुए उसके बड़े-बड़े रथियों को मार रहे थे। उन्होंने युधिष्ठिर की सेना के बहुत से पैदलों, सवारों सहित हाथियों, रथारोहियों और घुड़सवारों को मार डाला। भारत ! हमने उस युद्ध में भीष्म का इन्द्र के समान अत्यन्त अद्भूतपराक्रम देखा था। भरतनन्दन ! इसी प्रकार उस रणक्षेत्र में भीमसेन, धृष्टद्युम्न तथा धनुर्धर सात्यकिका भयानक युद्ध चल रहा था। द्रोणाचार्य का पराक्रम देखकर तो पाण्डवों के मन में भय समा गया। महाराज ! वे युद्धस्थल में द्रोणाचार्य से पीडि़त होकर कहने लगे कि रणभूमि में अकेले द्रोणाचार्य ही समस्त सैनिकों को मार डालने की शक्ति रखते है। फिर जब ये भूमण्डल के सुविख्यात शूरवीर योद्धाओं के समुदायों से घिरे हुए हैं, तब तो इनकी विजय के लिये कहना ही क्या है? भरतश्रेष्ठ ! उस भयंकर संग्राम में दोनों सेनाओं के शूरवीर एक दूसरे का उत्कर्ष नहीं सह सके। तात ! आपके और पाण्डव पक्ष के महाबली धनुर्धर वीर भूतों से आविष्ट से होकर राक्षसों के समान बनकर क्रोधपूर्वक एक दूसरे से जूझ रहे थे। बडे़-बड़े वीरों का विनाश करने वाले उस दैत्यों के तुल्य संग्राम में हमने किसी को ऐसा नहीं देखा, जो अपने प्राणों की रक्षा कर रहा हो।
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