महाभारत वन पर्व अध्याय 127 श्लोक 19-21
सप्तविंशत्यधिकशततम (127) अध्याय: वन पर्व (तीर्थयात्रापर्व )
महाभारत: वन पर्व: सप्तविंशत्यधिकशततम अध्याय: श्लोक 19-21 का हिन्दी अनुवाद
पुरोहित ने कहा- राजन ! मै एक यज्ञ आरम्भ करवाउंगा, उसमें तुम अपने पुत्र जन्तु की आहुति देकर यजन करा । इससे शीघ्र ही तुम्हें सौं परम सुन्दर पुत्र प्राप्त होंगे । जिस समय उसकी चर्बी की आहूति दी जायगी, उस समय उसके धूंए को सुंघ लेने पर सब माताएं ( गर्भवती हो) आपके लिये अत्यनत पराक्रमी पुत्रों को जन्म देंगी । आपका पुत्र जन्तु पुन: अपनी माता के ही पेट से उत्पन्न होगा । उस समय उसकी बायीं पसली में एक तुम्हारा चिन्ह होगा ।
इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अन्तर्गत तीर्थयात्रा पर्व में लोमशतीर्थ यात्रा के प्रसंग में जन्तुपाख्यान विषयक एक सौ सत्ताईसवां अध्याय पूरा हुआ ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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