महाभारत वन पर्व अध्याय 249 श्लोक 39-40
एकोनपच्चाशदधिकद्विशततम (249) अध्याय: वन पर्व (घोषयात्रा पर्व )
महाभारत: वन पर्व: एकोनपच्चाशदधिकद्विशततमअध्याय: श्लोक 39-40 का हिन्दी अनुवाद
‘राजन् पाण्डवोंने गन्धर्वोके हाथसे तुम्हें छुड़ाकर अपने कर्तव्यका ही पालन किया है । राजाके राज्य में रहने वालोंको सदा ही उसका प्रिय करना चाहिये ।‘तुमसे सुरक्षित होकर वे यहां निशिचिन्तता पूर्वक निवास कर रहे हैं । ऐसी दशा में तुम्हें निम्न कोटिके मनुष्योंकी तरह दीनतापूर्ण खेद नहीं करना चाहिये । ‘राजन् ! तुम आमरण उपवासका व्रत लेकर बैठे हो और इधर तुम्हारे सगे भाई शोक एवं विषाद में डूबे हुए हैं । बस, इन सबको दुखी करनेसे कोई लाभ नहीं है । तुम्हारा भला हो । उठो चलो और अपने भाइयोंको आश्वासन दो’।
इस प्रकार श्री महाभारत वनपर्वके अन्तर्गत घोषयात्रापर्व में दुर्योधनप्रायोपवेशनविषयक दो सौ उनचासवां अध्याय पूरा हुआ ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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