महाभारत वन पर्व अध्याय 51 श्लोक 43-46
एकपञ्चाशत्तम (51) अध्याय: वन पर्व (इन्द्रलोकाभिगमन पर्व)
महाभारत: वन पर्व: एकपञ्चाशत्तम अध्याय: श्लोक 43-46 का हिन्दी अनुवाद
बलराम, श्रीकृष्ण, अर्जुन, प्रद्युम्न, साम्ब, सात्यकि, भीमसेन, नकुल-सहदेव, केकयराजकुमार, दु्रपद और उनके पुत्र तथा मत्स्यनरेश विराट-ये सब-के-सब विश्व विख्यात अजेय वीर हैं। ये महामना जब अपने संगे सम्बन्धियों और सेना के साथ धावा करेंगे, उस समय क्रोध में भरे हुए केसरी सिंहों के समान उन महावीरों का समर में जीवन की इच्छा रखनेवाला कौन पुरूष सामना करेगा ? धृतराष्ट्र बोले- संजय ! जब जूआ खेला जा रहा था, उस समय विदुर ने मुझसे जो बात कही थी कि नरेन्द्र ! यदि आप पाण्डवों को जूए में जीतेंगे तो निश्चय ही यह कौरवों के लिये खून की धारा से भरा हुआ अत्यन्त भयंकर, विनाश-काल होगा। सूत ! विदुर ने पहले जो बात कही थी, वह अवश्य ही उसी प्रकार होगी, ऐसा मेरा विश्वास है। वनवास का समय व्यतीत होने पर पाण्डवों के कथनानुसार यह घोर युद्ध होकर ही रहेगा, इसमें संशय नहीं।
इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अन्तर्गत इन्द्रलोकभिगमनपर्व में धृतराष्ट्रविलापविषयक इक्यावनवां अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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