महाभारत शान्ति पर्व अध्याय 131 श्लोक 11-14
एकत्रिंशदधिकशततम (131) अध्याय: शान्ति पर्व (आपद्धर्म पर्व)
यदि सेना स्वामी के प्रति अनुराग रखनेवाला, प्रिय और हष्ट-पुष्ट हो तो उस थोड़ी-सी सेना के द्वारा भी राजा पृथ्वी पर विजय पा सकता है। यदि वह युद्ध में मारा जाय तो स्वर्गलोक के शिखर पर आरुढ़ हो सकता है अथवा यदि उसी ने शत्रु को मार लिया तो वह पृथ्वी का राज्य भोग सकता है। जो युद्ध में प्राणों का परित्याग करता है, वह इन्द्रलोक में जाता है। अथवा दुर्बल राजा शत्रु में कोमलता लाने के लिये विपक्ष के सभी लोगों का संतुष्ट करके उनके मन में विश्वास जमाकर उनसे युद्ध बंद करने के लिये अनुनय-विनय करे और स्वंय भी उपायपूर्वक उनके उपर विश्वास करे। अथवा वह मधुर वचनों द्वारा विरोधी दल के मन्त्री आदि को प्रसन्न करके दुर्ग से पलायन करने का प्रयत्न करे।तदनन्तर कुछ काल व्यतीत करके श्रेष्ठ पुरुषों की सम्मति ले अपनी खोयी हुई सम्पति अथवा राज्य की पुन: प्राप्त करने का प्रयत्न आरम्भ करे।
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